Birthday Special : कभी कर्ज लेकर खरीदे थे बॉक्सिंग के जूते, पढ़िए अमित पंघाल के 27वें जन्मदिन पर अनसुना किस्सा

खेल: भारत के वर्ल्ड नंबर वन मुक्केबाज अमित पंघाल (happy birthday amit panghal) 16 अक्टूबर को अपना 27वां जन्मदिन मना रहे हैं। किसान परिवार में जन्में अमित पंघाल तमाम संघर्षों का सामना करते हुए वर्ल्ड नंबर वन बने और देश का मान बढ़ाया। हरियाणा के रहने वाले इस स्टार ने हाल ही में कॉमन वेल्थ गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व किया था। किसान परिवार से आने वाले पंघाल ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है। आज उनके जन्मदिवस पर हम जानेंगे उनके करियर से जुडी खास बातें...
बॉक्सिंग सीखने नहीं जाते थे पंघाल
अमित पंघाल (Amit Panghal) ने साल 2008 में बॉक्सिंग की शुरुआत की थी। अमित के चाचा गांव में बच्चों को बॉक्सिंग की ट्रेनिंग देते थे। अमित के बड़े भाई अजय (elder brother) भी उसी जगह ट्रेनिंग के लिए जाया करते थे। शुरुआत में अमित यहां बॉक्सिंग सीखने नहीं जाते थे, वह सिर्फ फिजिकल फिटनेस के लिए यहां जाते थे। क्योंकि वह शारीरिक रूप से काफी कमजोर थे। लेकिन चाचा ने देखा कि अमित को बॉक्सिंग का शौक है, इसलिए उन्होंने उसे भी ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया। अमित पंघाल (Amit Panghal) ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत साल 2017 से की है और तब से वह लगातार देश को मेडल दिलाते रहे हैं। साल 2017 में जब वे पहली बार वर्ल्ड चैंपियनशिप (World Championships) में हिस्सा लेने के लिए जर्मनी के हैम्बर्ग गए तो वहां की एक दुकान पर उन्हें एक खास जूता पसंद आया।
कर्ज लेकर खरीदे जूते
इन जूतों को खासतौर पर बॉक्सिंग के लिए पहना जाता था। हालांकि उसकी कीमत चुकाना पंघाल (Panghal's) के बस की बात नहीं थी। लेकिन उन्हें जूते इतने पसंद थे कि वह खुद को रोक नहीं पाए। इसलिए उन्होंने कर्ज लेने का मन बना लिया। पंघाल ने अपने साथी बॉक्सर कविंद्र बिष्ट से कहा कि उन्हें जूते खरीदने हैं तो वह कुछ पैसे उधार दे दे। साथ ही उन्होंने वादा भी किया कि वह घर जाकर उन्हें पैसे लौटा देंगे। उन जूतों को पहनकर पंघाल (Panghal) चैंपियनशिप में उतरे। हलाकि, इस चैंपियनशिप में हर मिली। लेकिन उनके करियर की शुरुआत (career started) हो गई।
पंघाल एकमात्र भारतीय मुक्केबाज
2018 राष्ट्रमंडल खेलों (Commonwealth Games) में जहां अमित ने रजत पदक जीता। उसी वर्ष एशियाई खेलों में उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप (World Championship) की हार का बदला लिया। 49 किलोग्राम भार वर्ग में उज्बेकिस्तान के रियो ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता दुशमातोव ने भारत के लिए 14वां स्वर्ण पदक जीता। पंघाल एकमात्र भारतीय मुक्केबाज हैं। जिन्होंने यूरोप की सबसे पुरानी और सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगिता स्ट्रैंड्जा मेमोरियल (Strandja Memorial) में लगातार दो बार स्वर्ण पदक जीता है। पंघाल ने साल 2018 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था। इसके अलावा उन्होंने साल 2017 में गोल्ड, 2019 में सिल्वर और एशियन चैंपियनशिप में 2021 में ब्रॉन्ज जीता था। साथ ही इस वर्ष उन्होंने नेशनल गेम्स में भी स्वर्ण (won gold medal) पदक जीता।
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