On this Day: आज ही के दिन गाबा में भारत ने चूर-चूर किया था ऑस्ट्रेलिया का घंमड, यंग ब्रिगेड ने रचा इतिहास

On this Day: आज ही के दिन गाबा में भारत ने चूर-चूर किया था ऑस्ट्रेलिया का घंमड, यंग ब्रिगेड ने रचा इतिहास
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आज के दिन यानी 19 जनवरी 2021 को जब ब्रिस्बेन के गाबा मैदान पर भारत ने इतिहास रचा तो किसी को भी यकीन नहीं हुआ। 32 साल के रिकॉर्ड को तोड़कर इतिहास रचना शायद ही कोई इस दिन को भूलेगा।

On This Dayin 2021: आज के दिन यानी 19 जनवरी 2021 को जब ब्रिस्बेन के गाबा (Gabba Test) मैदान पर भारत ने इतिहास रचा तो किसी को भी यकीन नहीं हुआ। 32 साल के रिकॉर्ड को तोड़कर इतिहास रचना शायद ही कोई इस दिन को भूलेगा। 2020 दिसंबर के महीने में जब भारतीय टीम ऑस्ट्रेलियाई दौरे (Australia Tour) पर निकली तो क्रिकेट फैंस के चेहरे पर खुशी थी, क्योंकि साल 2020 कोरोना (Coronavirus) में निकला और भारतीय टीम का ये दौरान कहीं न कहीं फैंस के लिए एक उम्मीद बन कर आया। हर कोई अपने घरों में कैद था फिर उसी साल के आखिर में विराट कोहली की अगुवाई में भारतीय टीम का ये दौरा फैंस के चेहरों पर खुशी लेकर आया।


भारत की इसी टीम ने 2018 में ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में मात दी थी। अब मौका था एक बार फिर इतिहास दोहराने का और दुनिया को ये बताने का कि पिछली बार जो हुआ वो बस जीत नहीं थी। इस दौरान पहला मुकाबला ऐसा हुआ कि वो भी अपने आप में इतिहास बन गया। जिसकी दूसरी पारी में पूरी भारतीय टीम महज 36 रनों पर ऑलआउट हो गई। कप्तान कोहली पिता बनने वाले थे जिस कारण वो पहले मैच के बाद ही वापस स्वदेश लौट आए थे

फिर भारत ने कोहली की गैरमौजूदगी में दूसरा टेस्ट जीता, उसके बाद तीसरा टेस्ट मैच ड्रॉ करवाया। अब थी गाबा की बारी, ब्रिस्बेन का गाबा जहां दुनिया की कोई टीम ऑस्ट्रेलिया को नहीं हरा पाई थी। पिच पर इतनी उछाल की सामने से आए गेंद तो सीधे मुंह पर पड़े। सीरीज में एक-एक की बराबरी पर दोनों टीमें थीं, किसी को उम्मीद नहीं थी कि भारत ये मुकाबला जीतेगा, कंगारुओं की टीम भी मुकाबले होने से पहले ही जीत की खुशी से ओत-प्रोत थी। लेकिन कहते हैं ना अगर हौसले बुलंद हो तो अच्छे-अच्छे झुक जाते हैं। तो फिर ऑस्ट्रेलियाई टीम क्या है…


जब गाबा टेस्ट शुरु हुआ तबतक भारतीय टीम आधी से ज्यादा घायल थी। खिलाड़ियों के चोटिल होने का सिलसिला पहले मुकाबले से शुरु हो गया था। एक के बाद एक खिलाड़ी चोट लगवा बैठा। पहले मुकाबले में मोहम्मद शमी तो दूसरे में उमेश यादव और फिर तीसरा मैच आते-आते अश्विन, रवींद्र जडेजा, जसप्रीत बुमराह घायल हो चुके थे। वहीं कोहली घर जा चुके थे, ईशांत चोट के कारण सीरीज से बाहर थे। उस दौरान भारतीय टीम की प्लेइंग इलेवन लड़खड़ा रही थी।

कमान अजिंक्य रहाणे के हाथ में थी, और भारत की हालात मैच जीतना तो दूर प्लेइंग इलेवन मुकाबले में खिलाने की चुनौती थी। ऐसे में कहा गया है कि जो भी है बस वही मैदान पर जाएगा और अपनी तरफ से मुकाबले में खेलेगा। इस मुकाबले में ऐसे खिलाड़ियों को मौका मिला या यूं कहे कि ऐसे खिलाड़ियों को खिलाया गया जो इस दौरे पर सिर्फ स्टैंड्स में बैठने आए थे ताकि वो नेट्स में बल्लेबाजों को बॉल डाल सकें।


इस मुकाबले में भारत के दो खिलाड़ियों ने डेब्यू किया जो आज के समय में बेहतरीन खिलाड़ी हैं। पहले तो टी नटराजन और दूसरे वाशिंगटन सुंदर ये दो खिलाड़ी थे जिनको मौका मिला। उस समय भारतीय गेंदबाजी विभाग पर सिर्फ भरोसा का दूसरा नाम थे मोहम्मद सिराज, जिन्हें उससे पहले महज दो-तीन मैच में ही खेलने का मौका मिला था।

क्रीज पर पहले बल्लेबाजी करने आई कंगारुओं की टीम ने 369 का स्कोर खड़ा किया। नटराजन ने अपने पहले ही मुकाबले में तीन विकेट अपने नाम कर लिए। फिर रोहित- शुभमन गिल ओपनिंग करने आए लेकिन जल्दी ही पवेलियन लौट गए। स्कोर 6 विकेट के नुकसान पर 186 रन ही बना पाए। उसके बाद लगा कि अगर एक और विकेट भारत ने गंवाया तो मुकाबले में बहुत पीछे हो जाएंगे। लेकिन वाशिंगटन सुंदर और शार्दुल ठाकुर ने शानदार शतकीय साझेदारी करते हुए ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के फीते खोल दिए। फिर क्या 336 के स्कोर पर पूरी भारतीय टीम पवेलियन जा चुकी थी।


दूसरी पारी शुरु हुई और मोहम्मद सिराज की गेंदबाजी का जादू चला, उन्होंने पांच विकेट अपने खाते में जोड़े। बता दें कि गाबा की ये पारी सबसे ज्यादा यादगार अगर किसी के लिए है तो वो सिराज ही हैं, क्योंकि उन्होंने सिर्फ पांच विकेट नहीं लिए बल्कि जब वो क्वारंटीन में थे तो उनके पिता का इंतकाल हो गया। कोरोना नियमों के कारण अपना दुख भी नहीं बांट पाए वो, इसी सीरीज से टेस्ट में डेब्यू करने का मौका भी मिला। और इसी सीरीज के दौरान ऑस्ट्रेलिया में उनके ऊपर ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों ने आपत्तिजनक टिप्पणी भी की फिर भी वो टूटे नहीं बल्कि उन्होंने भारत की बिगड़ती पारी को संभाला।


वहीं भारत को ये मुकाबला जीतने के लिए 98 ओवर में 324 रनों की दरकार थी। जल्द ही रोहित शर्मा पवेलियन लौट गए, लेकिन युवा बल्लेबाज शुभमन गिल ने पारी को बेहतरीन तरीके से संभाला। इस दौरान एक ऐसा समय भी आया जब लगा मुकाबला ड्रॉ हो जाएगा। लेकिन गिल ने इस बात को गलत साबित किया उन्होंने अपने बल्लेबाजी से बता दिया कि भारतीय टीम स्कोर को चेज करेगी ना की ड्रा या हारेगी। उन्होंने अपनी पारी के दौरान 8 चौके, 2 छक्के लगाए।

गाबा टेस्ट ही ये जिसमें चेतेश्वर पुजारा पर करीब एक दर्जन से ज्यादा बार गेंद लगी। उनका हेल्मेट तक टूट गया, हाथ में चोट लगी, फिर भी वो क्रीज पर डटे रहे। लेकिन दूसरी ही तरफ एक के बाद एक विकेट गिरने लगे। जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया को जीत की बड़ी रोशनी दिखने लगी। तो भारतीय खेमे में डर का माहौल और सन्नाटा पसर गया। लेकिन एक आंधी ने सबकुछ बदल के रख दिया। वो आंधी भारतीय टीम के 23 साल के ऋषभ पंत की थी। उस दौरान भारत के पास दो विकल्प थे एक तो मैच अपने पाले में करना या फिर मुकाबले को ड्रॉ करवाना।


लेकिन ऋषभ पंत तो जिस चीज के लिए जाने जाते हैं उन्होंने वही किया। आते ही वो कंगारुओं के गेंदबाजों पर वो बरस पड़े। कहा जा सकता है कि वो उस समय ये ठान कर आए थे कि मुकाबला आर- पार करना है बीच में नहीं छोड़ना। इस दौरान उनकी बल्लेबाजी में आक्रामकता तो मिल ही रही थी साथ ही समझदारी भी थी। सबसे ज्यादा कहर पंत का नाथन लॉयन पर टूटा, पुजारा पवेलिय गए तो मंयक, शार्दुल के साथ उन्होंने पारी को आगे बढ़ाया। लेकिन ये दोनों भी आउट हो गए फिर पंत ने सुंदर के साथ छोटी मगर अहम पार्टनरशिप करते हुए गाबा का घमंड तोड़ दिया। ऋषभ पंत ने ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ पूरी दुनिया को बता दिया किया भारत की चाहे जो भी टीम हो ए, बी या फिर सी उसे अंडरस्टीमेट नहीं करना चाहिए।

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