Sunday Special: भारतीय बॉक्सिंग में चमकते सितारे अमित पंघाल की कहानी, बड़े भाई को मानते हैं गुरु

Sunday Special: भारतीय बॉक्सिंग में चमकते सितारे अमित पंघाल की कहानी, बड़े भाई को मानते हैं गुरु
X
Sunday Special: टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत की तरफ से पदक के प्रबल दावेदारों में से एक भारतीय बॉक्सर (Indian Boxer) अमित पंघाल (Amit Panghal) का इस समय पूरा ध्यान खेलों के इस महाकुंभ पर है।

Sunday Special: 23 जुलाई से शुरु होने वाले टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत की तरफ से पदक के प्रबल दावेदारों में से एक भारतीय बॉक्सर (Indian Boxer) अमित पंघाल (Amit Panghal) का इस समय पूरा ध्यान खेलों के इस महाकुंभ पर है। पंघाल का कहना है कि एशियाई चैंपियनशिप (Asian Championship) के फाइनल में मिली हार से वह और मजबूत हो गए हैं। साथ ही 25 साल के इस मुक्केबाज का कहना है कि टोक्यो में पदक का रंग बदलने के इरादे से उतरेंगे। दरअसल हाल ही में दुबई में संपन्न एशियाई चैंपियनशिप पंघाल को सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा था।

बचपन से ही घर में था मुक्केबाजी का माहौल

16 अक्टूबर 1995 को हरियाणा के रोहतक जिले में जन्में अमित के पिता विजेंदर सिंह पेशे से किसान हैं। घर में बचपन से ही उन्हें मुक्केबाजी का माहौल मिला। बड़े भाई अजय बॉक्सिंग किया करते थे। बताया जाता है कि बड़े भाई अजय ने ही अमित को बॉक्सिंग के लिए प्रेरित किया। बड़े भाई अजय सेना में हैं।

जिसके बाद अमित ने भी उनकी सलाह को मानते हुए जी-तोड़ मेहनत की और देश के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया। इस सफलता का पहला श्रेय अमित अपने अग्रज को ही देते हैं। बकौल अमित, 'मेरे बड़े भाई अजय श्रेय के हकदार हैं। वह वास्तव में मेरे लिए सबसे अच्छे कोच हैं। वह हमेशा मेरे लिए रणनीति बनाते और मैं कोशिश करता हूं कि हर मुकाबले से पहले उनसे बात करूं। अजय खुद एक बेहतरीन मुक्केबाज थे, लेकिन परिवार दोनों भाईयों में से किसी एक ही ट्रेनिंग का खर्च वहन कर सकता था, तब वह अजय ही थे, जिन्होंने सामने आकर अपने छोटे भाई अमित को प्रशिक्षण दिलाने पर जोर दिया।

अमित पंघाल की उपलब्धियां

अमित पंघल की सबसे बड़ी उपलब्धि 2017 में आई, जब उन्होंने राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप का स्वर्ण पदक हासिल किया, लेकिन प्रसिद्धि मिलनी अभी बाकी थी। 2017 में एशियन चैंपियनशिप का कांस्य पदक जीतते ही वह मीडिया की सुर्खियां बन चुके थे। उस एशियाई चैम्पियनशिप के पदक ने उन्हें विश्व चैंपियनशिप में क्वालीफाई करवा दिया, जहां उन्हें हसनबॉय दुश्मातोव ने क्वार्टरफाइनल में हराया था। उस हार ने पंघाल को और मजबूती से वापसी करने के लिए तैयार किया।

अब मौका था 2018 राष्ट्रमंडल खेल, जहां अमित ने रजत पदक जीता। उसी साल हुए एशियाई खेलों में उन्होंने विश्व चैंपियनशिप की हार का बदला ले लिया। 49 किलोग्राम भारवर्ग में रियो ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट उजबेकिस्तान के दुश्मातोव को धुनते हुए भारत के लिए 14वां गोल्ड हासिल किया।

भारतीय सेना में बने नाएब सूबेदार

भारतीय सेना में नायब सूबेदार के पद पर तैनात अमित पंघाल ओलंपिक 2020 में भारत के मेडल की बड़ी आस बनकर उभरे हैं। भारतीय मुक्केबाजी में पंघाल के ऊपर चढ़ने का ग्राफ शानदार रहा है जिसकी शुरूआत 2017 एशियाई चैम्पियनशिप में 49 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक से हुई थी। वह इसी साल विश्व चैम्पियनशिप में पदार्पण करते हुए क्वार्टरफाइनल तक पहुंचे थे और फिर उन्होंने बुल्गारिया में प्रतिष्ठित स्ट्रांदजा मेमोरियल में लगातार स्वर्ण पदक हासिल किए और फिर वह 2018 में एशियाई चैम्पियन बने।

बता दें कि पंघाल इकलौते भारतीय मुक्केबाज हैं जिसने यूरोप के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित प्रतियोगिता स्ट्रांदजा मेमोरियल में लगातार दो बार स्वर्ण पदक हासिल किया। इस साल उन्होंने एशियाई चैम्पियनशिप का स्वर्ण अपने नाम कर किया और फिर 49 किग्रा के ओलंपिक कार्यक्रम से हटने के बाद 52 किग्रा में खेलने का फैसला किया।

Tags

Next Story