Tokyo Olympics: डिस्कस थ्रो में पदक का सूखा खत्म करेगी सीमा!, चौथी बार ओलंपिक का सफर करने वाली इकलौती एथलीट

Tokyo Olympics: डिस्कस थ्रो में पदक का सूखा खत्म करेगी सीमा!, चौथी बार ओलंपिक का सफर करने वाली इकलौती एथलीट
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चौथी बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व और राजीव गांधी पुरस्कार (Rajiv Gandhi Khel Ratna) विजेता सीमा पिछले तीन ओलंपिक में पदक के सूखे को खत्म करना चाहेगी

खेल। टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में डिस्कस थ्रो (Discus throw) में सीमा अंतिल (Seema Punia-Antil) की नजर स्वर्ण पदक (Gold Medal) पर है। चौथी बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व और राजीव गांधी पुरस्कार (Rajiv Gandhi Khel Ratna) विजेता सीमा पिछले तीन ओलंपिक में पदक के सूखे को खत्म करना चाहेगी।

अंडर-14 जूनियर में जीता स्वर्ण


सीमा का जन्म 27 जुलाई 1983 हरियाणा के सोनीपत जिले के खेवड़ा गांव में हुआ। पिछले तीन साल 2004 एथेंस ओलंपिक, 2012 के लंदन ओलंपिक और 2016 के रियो ओलंपिक में वह पदक जीतने में असफल रहीं लेकिन इस बार उनकी तैयारी को देख कर लगता है कि वह ओलंपिक से खाली हाथ नहीं लौटेंगी। डिस्कस थ्रो में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए पदक हासिल करके देश और हरियाणा का नाम रोशन करने वाली सीमा को 2010 में पुलिस सब इंस्पेक्टर की नौकरी मिली, जो आज डीएसपी पद पर तैनात है। उनके परिवार के अनुसार सीमा ने स्टेडियम में जब पहली बार डिस्कस देखा तो वह अपने आप को रोक नहीं पाईं और उन्होंने आजमाने के लिए फेंका तो डिस्कस ने 22 मीटर की दूरी तय की। जिसके बाद उन्होंने इसी में अपना करियर बनाने की सोची। साल 1995 में उन्होंने अंडर-14 जूनियर नेशनल में 28.28 मीटर की दूरी नाप कर नया रिकार्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीता।

चुनौतियों का डटकर सामना किया


वहीं सीमा के पिता विजय पाल सिंह बेटी के ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने पर काफी खुश हैं। इसके बाद उनके पिता को उम्मीद है कि वह इस बार देश के लिए मेडल जरूर लेकर लाएंगी। इसके साथ ही उनकी मां प्रकाशी देवी और भाई अमित का कहना है कि सीमा ओलंपिक में मेडल जीतने लिए वह जीतोड़ मेहनत कर रहीं हैं। साथ ही सीमा के कोच अमित को भी उनपर भरोसा है कि वह इस बार देश के लिए मेडल जीतेगी। कोच अमित का कहना है कि सीमा ने जिस तरह चुनौतियों का सामना किया है और साल 2000 में डोपिंग विवाद के बाद उसका करियर थम गया था। बावजूद सीमा ने हार नहीं मानी और दो साल बाद फिर से वापसी करते हुए चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया।

खेल से परिवार का नाता


सीमा के परिवार में उसके बड़े भाई आनंद पाल अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान, तो दूसरे भाई अमित पाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हॉकी में स्वर्ण पदक विजेता हैं। यहीं कारण था कि दोनों भाइयों की उपलब्धियों ने ही सीमा को खेल के लिए प्रेरित किया। स्कूल स्तर पर सीमा ने नेशनल में लंबी कूद, शाटपुट और ऊंची कूद में कई पदक जीते हैं।

सीमा की उपलब्धियां


-2002 में विश्व जूनियर चैंपियनशिप में कांस्य पदक

-2006 में कामनवेल्थ गेम्स मेलबर्न में रजत

-2010 में कामनवेल्थ गेम्स दिल्ली में कांस्य

-2014 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक

-2014 में कामनवेल्थ गेम्स ग्लास्गो में रजत

-2014 में एशियन गेम्स इंचियोन में रजत

-2018 में कामनवेल्थ गेम्स गोल्ड कोस्ट में रजत पदक

-2018 में एशियन गेम्स जकार्ता में कांस्य

- 2021 में बेलारूस नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण

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