कौन है भारत के पहले 'ब्लेड रनर' Major DP Singh ? जिनके नाम है कई उपलब्धियां

कौन है भारत के पहले ब्लेड रनर Major DP Singh ? जिनके नाम है कई उपलब्धियां
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साल 2011 में देश के पहले ब्लेड रनर बनने वाले डीपी सिंह अबतक 26 से ज्यादा हाफ मैराथन में भाग ले चुके हैं। इनमें तीन बार तो उन्होंने ऊंचाई पर हुई दौड़ में भाग लिया।

कारगिल युद्ध (Kargil War ) के जांबाज योद्धा और नेशनल रोल मॉडल (Nation Role Model) के नाम से जाने जाने वाले भारतीय सेना (Indian Army) से सेवानिवृत्त देवेंद्र पाल सिंह (DP Singh) मजबूत इरादों के धनी माने जाते हैं। साल 2011 में देश के पहले ब्लेड रनर (Blade Runner) बनने वाले डीपी सिंह अबतक 26 से ज्यादा हाफ मैराथन में भाग ले चुके हैं। इनमें तीन बार तो उन्होंने ऊंचाई पर हुई दौड़ में भाग लिया। साथ ही वह सांगला, लेह और कारगिल में आयोजित हो चुकी मैराथन में भी भाग ले चुके हैं। यही नहीं लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी अपना नाम दर्ज करा चुके मेजर डीपी सिंह को 2018 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय प्रेरक व्यक्तित्व यानी की नेशनल रोल मॉडल से सम्मानित भी किया है।


दरअसल 22 साल पहले भारतीय सेना में तैनात डीपी सिंह करगिल युद्ध में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनकी हालात इनती बुरी थी कि उनका एक पैर बुरी तरह जख्मी हो गया था, साथ ही शरीर पर 40 से ज्यादा घाव। इस हालात में उन्हें अखनूर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। करीब एक साल तक अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान उनकी एक के बाद एक कई सर्जरी हुईं। पैर में इंन्फैक्शन इतना फैल गया था कि दाहिना पैर काटना पड़ा। उसके बाद भी उनकी तकलीफें कम नहीं हुईं, पैर के बाद उनकी आंत के कुछ हिस्से भी अलग करने पड़े। सुनने की ताकत भी कमजोर पड़ गई। उनके साथ इनता भयावह होने के बाद भी वह ना घबराए ना ही निराश हुए। मेजर डीपी सिंह ने इन दिक्कतों को अपनी कमजोरी नहीं बनने दी बल्कि अपनी मुश्किलों को अपनी ताकत बनाया और देश के पहले ब्लेड रनर बन गए।


जिंदगी में छोटी परेशानियों को देखकर घबराने वाले आज के युवाओं को मेजर डीपी सिंह से सीखना चाहिए कि चुनौतियों से कैसे लड़ा जाए। अपनी 10 साल की मेहनत और लगातार संघर्ष के बाद उन्होंने अपने आप को मैराथन के लिए तैयार किया। मेजर अपने मुश्किल भरे पलों को अपना पुनर्जन्म बताते हैं। 2018 में मेजर डीपी सिंह को भारतीय सेना के द्वारा 'ब्रांड एंबेसडर ईयर ऑफ द डिसेबल्ड' चुना गया।

वहीं मेजर डीपी सिंह ने अंगदान और अस्थि मज्जा दान का संकल्प ले रखा है। पिछले साल नासिक मे उन्होंने पहली बार स्काई डाइविंग की जो कि सफल रही। साथ ही ऐसा करने वाले वह एशिया के पहले दिव्यांग हैं।

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