नवजोत कौर ने पिता को दिया कामयाबी का श्रेय, Tokyo Olympic में गोल्ड जीतने का है सपना

नवजोत कौर ने पिता को दिया कामयाबी का श्रेय, Tokyo Olympic में गोल्ड जीतने का है सपना
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स्ट्राइकर नवजोत कौर (Navjot Kaur) टीम में अपनी तकनीकी और रक्षात्मक शैली के लिए जानी जाती हैं, साथ ही लंबे समय तक गेंद को होल्ड करने में भी उन्हें महारथ हासिल है।

खेल। 23 जुलाई से टोक्यो ओलंपिक गेम्स (Tokyo Olympic) का आगाज होने जा रहा है। जिसके लिए भारतीय महिला हॉकी टीम (Indian Women Hockey Team) पहले ही क्वालीफाई कर चुकी है। अब महिला हॉकी टीम टोक्यो ओलंपिक में अपना परचम लहराना चाहती है। जिसके लिए टीम पिछले कई महीनों से बेंगलुरू (Bengaluru) में अभ्यास कर रही है। वहीं महिला हॉकी टीम में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी हैं। इन्हीं में से एक हैं स्ट्राइकर नवजोत कौर (Navjot Kaur), जो अपनी तकनीकी और रक्षात्मक शैली के लिए जानी जाती हैं, साथ ही लंबे समय तक गेंद को होल्ड करने में भी उन्हें महारथ हासिल है। वह टीम में मिडफील्डर के तौर पर टीम को जीत दिला सकती हैं जिसके लिए टीम को उनपर पूरा भरोसा है।


टीम में हमेशा रही अहम भूमिका

इसके साथ ही अर्जुन पुरस्कार के लिए नवजोत कौर का नाम भेजा गया है, इस दौरान नवजोत कौर ने हरिभूमि से बात करते हुए कहा, " पूरी टीम की खिलाड़ी शारीरिक रूप से फिट हैं, क्योंकि अच्छा प्रदर्शन करने के लिए फिटनेस पहली कड़ी में होनी चाहिए।" नवजोत अबतक 172 अतंरराष्ट्रीय मैच खेल चुकीं हैं उन्होंने टीम की जीत में हमेशी से ही अहम भूमिका निभाई है। यही कारण है कि उनका चयन दूसरी बार ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाली टीम में हुआ है।


पहले ही अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन

हरियाणा के शाहबाद कस्बे में 7 मार्च 1995 को जन्मी नवजोत कौर का मन बचपन से ही हॉकी में रच बस गया था। और महज आठ साल की उम्र से ही मारकंडा अकादमी के कोच बलदेव से कोचिंग लेना शुरू किया। नवजोत ने अपनी प्रतिभा के सहारे स्कूल, स्टेट और नेशनल स्तर के हॉकी टूर्नामेंटों में अपने प्रदर्शन से भविष्य के इरादे जाहिर कर दिये। जिसके बाद वह 2011 में राष्ट्रीय जूनियर अंडर-18 की टीम में चुनी गई और बैंकॉक में हुए एशिया कप यानि पहले ही अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में 10 गोल दागकर इतिहास रच दिया। वहीं इस टूर्नामेंट में भारतीय जूनियर टीम ने कांस्य पदक जीता और नवजोत को सर्वश्रेष्ठ स्कोरर का खिताब मिला। साल 2013 में जापान एशिया कप के फाइनल मैच में चीन को हराकर भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक हासिल किया, जिसमें विजयी गोल नवजोत के नाम रहा।

राह में आई कई मुश्किलें


वहीं नवजोत ने बताया कि जब उनका चयन 2012 में सीनियर महिला हॉकी टीम में हुआ तो वह बहुत खुश थीं लेकिन उसी दौरान उनके पैर में आई चोट ने उसकी मुश्किलें बढा दी। उस समय उनके परिवार और कोच बलदेव सिंह ने उनका हौसला बढ़ाया, उनकी ही मदद से वह ठीक हो पाईं। लगातार कड़ी मेहमत और खेल पर फोकस कर उन्होंने फिर कभी पीछे नहीं देखा। इसी का नतीजा था उन्होंने और उनकी टीम ने 2018 में एशिया कप के फाइनल मैच में चीन को शूटआउट में 5-4 से मात देकर स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया।

कामयाबी का श्रेय पिता को दिया

देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी हॉकी खिलाड़ी के रूप में बुलंदिया छू रही नवजोत ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को दिया। उन्होंने कहा, "मेरे पिता ने हमेशा मुझे सहयोग किया, पिता का साथ ही था जो मैं इतनी आगे बढ़ पाई।" इसके साथ ही उन्होंने अपने कोच बलदेव को भी अपनी कामयाबी का श्रेय दिया। जिन्होंने उन्हें अकादमी में हमेशा खेल की तकनीकियों और विपक्षी टीम की जरा सी कमजोरी का लाभ उठाने के गुर सिखाए।

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