जानें राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का इतिहास, किसे मिला था पहला पुरस्कार

खेल। राजीव गांधी खेल रत्न (Rajiv Gandhi Khel Ratna), देश का सबसे बड़ा खेल अवॉर्ड (Award) लेकिन अब मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) के नाम से जाना जाएगा। पीएम मोदी (PM Modi) ने शुक्रवार को एक ट्वीट (Tweet) के जरिए देश को इसकी जानदारी दी। ध्यानचंद सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि एक युग थे, हॉकी के जादूगर कहलाए जाते थे। हालांकि साथ ही खेल पुरस्कारों के तहत ध्यानचंद अवॉर्ड (Major Dhyan Chand Award) भी दिया जाता है।
देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है।
— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021
जय हिंद!
राजीव गांधी खेल रत्न की शुरुआत
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी की स्मृति में दिया जाता है। इसकी शुरुआत 1991-92 से हुई थी, जो की देश का सर्वोच्च स्थान प्राप्त राष्ट्रीय खेल पुरस्कार है। वहीं ये पुरस्कार उन खिलाड़ियों को दिया जाता है जिन्होंने खेल के क्षेत्र में असाधारण प्रदर्शन किया है। इस पुरस्कार में एक पदक, एक प्रशस्ति पत्र के साथ पहले साढ़े सात लाख रुपए दिए जाते थे लेकिन ये राशि बढ़कर अब 25 लाख रुपए हो गई है। वहीं यह पुरस्कार सबसे पहले 1991-92 में शतरंज के ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद को दिया गया था।
'मेजर ध्यानचंद' नाम ही काफी है
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का खेल जिसने भी देखा वह उनका मुरीद हो गया, ध्यानचंद को चाहने वाले उन्हें दद्दा भी कहते थे। वह अपने खेल में इतने माहिर थे कि जर्मनी का तानाशाह हिटलर भी उनका दीवाना बना दिया था। ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में हुआ था। हालांकि, उनमें बचपन में कोई खिलाड़ीपन के कई विशेष लक्षण दिखाई नहीं देते थे, लेकिन उनकी सतत, साधना, अभ्यास, लगन, संघर्ष और संकल्प के सहारे प्रतिष्ठा अर्जित की थी।
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