Sunday Special: ओलंपिक में मेडल को दांतों से क्यों काटते हैं खिलाड़ी, जानें ये है वजह

Sunday Special: टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) की शुरुआत हो चुकी है, इसमें कई देशों के एथलीट भाग ले रहे हैं। इस बार कोरोना महामारी (Corona virus) के दौरान खेली जा रही प्रतिस्पर्धाओं में कई सावधानियां बरती जा रहीं हैं। लेकिन जब भी ओलंपिक शुरु होते हैं तो सभी के दिमाग में अक्सर एक सवाल जरूर गूंजता होगा कि पोडियम पर खड़े होकर जब कोई खिलाड़ी पदक जीतता है तो वह मेडल्स को दातों से क्यों काटता है?
जब भी कोई खिलाड़ी पदक जीतता है तो ये सिर्फ उसके लिए ही गर्व की बात नहीं होती बल्कि उसके पूरे देश के लिए सम्मान की बात होती है। इसके साथ ही किसी खिलाड़ी के गोल्ड मेडल जीतने पर पोडियम पर खड़े होकर उन्हें मेडल्स पहनाने की परंपरा बहुत पुरानी है जो आज भी कायम है। इस दौरान उसके चेहरे पर मुस्कान और उसके देश का झंडा सबसे ऊपर और कानों में राष्ट्रगान बजता है ये वाकई किसी सुनहरे सपने से कम नहीं होता। इसके बाद खिलाड़ी पदक के पाने के बाद मेडल को दांतों से काटते हैं। लेकिन वो ऐसा क्यों करते हैं इसका जवाब आज हम आपको अपने संडे स्पेशल में देंगे।
दरअसल "द कंपलीट बुक ऑफ द ओलंपिक" के सह-लेखक डेविड वालेचिंस्की ने एक इंटरव्यू में बताया था कि खिलाड़ी दातों से मेडल को इसलिए काटते हैं क्योंकि उनसे एथलीट फोटोग्राफर्स की रिक्वेस्ट होती है कि वह मेडल के साथ ऐसा पोज दे जो यादगार बन जाए। इस कारण एथलीट मेडल्स को दांतों से काटते हैं। हालांकि, डेविड का मानना था कि एथलीट खुद से ऐसा करना पसंद नहीं करते बल्कि उन्हें फोटोग्राफर्स और मीडिया के लिए ऐसा करना पड़ता है।
वहीं सोने को दातों से काटने की ऐतिहासिक परंपरा भी रही है, बता दें सोना मुलायम धातु होता है ऐसे में इसे काटकर इसकी शुद्धता का टेस्ट किया जाता है। यही कारण है कि लोग सोने को दांतों से काटकर ये पता लगाते हैं कि सोना शुद्ध है या उसपर सिर्फ गोल्ड प्लेट चढ़ाई गई है। अगर सोना असली होता है तो उस पर निशान पड़ने की संभावना होती है लेकिन इसक बावजूद ओलंपिक एथलीटों के गोल्ड मेडल पर किसी तरह का कई निशान नहीं पड़ता। जिस कारण मेडल्स में सोने की बहुत कम मात्रा होती है।
2016 रियो ओलंपिक में महज 1 प्रतिशत से कुछ ज्यादा सोने का इस्तेमाल गोल्ड मेडल में किया गया था इसके अलावा इसमें 93 प्रतिशत सिल्वर और 6 प्रतिशत कांस्य का इस्तेमाल किया गया था।
टोक्यो ओलंपिक में मेडल्स चबाने पर मनाही
We just want to officially confirm that the #Tokyo2020 medals are not edible!
— #Tokyo2020 (@Tokyo2020) July 25, 2021
Our 🥇🥈🥉 medals are made from material recycled from electronic devices donated by the Japanese public.
So, you don't have to bite them... but we know you still will 😛 #UnitedByEmotion
वहीं टोक्यो ओलंपिक में खिलाड़ियों को सख्त हिदायत दी गई है कि वह मेडल्स को ना चबाएं। दरअसल सभी जानते हैं कि जापान अपने टेक्नोलॉजी का बेहद अच्छे तरीके से इस्तेमाल करता है, और इसी टेक्नोलॉजी का प्रयोग उसने ओलंपिक में दिए जाने वाले मेडल्स में किया है। जापान ने इलेक्ट्रॉनिक कचरे को रि-साइकिल करके मेडल्स बनाए हैं, यहा इलेक्ट्रॉनिक कचरे से मतलब खराब मोबाइल फोन, लैपटॉप समेत दूसरे डिवाइस से उसने मेडल्स बनाए हैं।
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