Tokyo Olympic 2020: भारत के लिए कुश्ती में ये पहलवान दिखाएंगे अपना दम, दिलाएंगे पदक

खेल। 23 जुलाई से शुरु होने वाले टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में भारत के 7 कुश्ती पहलवान अपना दमखम दिखाएंगे। साथ ही इसमें सभी अपने वजन वर्ग में पदक के दावेदार हैं, लेकिन बजरंग पूनिया (Bajrang Puniya) (पुरुष फ्रीस्टाइल 65 किग्रा) अंतरराष्ट्रीय स्तर (International Level) पर अच्छा प्रदर्शन करते आ रहे हैं। तो वहीं विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) महिला वर्ग में 53 किग्रा, सोनम मलिक (Sonam malik) महिला वर्ग में 62 किग्रा के साथ ही सीमा बिस्ला (Seema bisla) महिला वर्ग में 50 किग्रा के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।
कुश्ती में अबतक भारत ने एक रजत और चार कांस्य पदक सहित कुल 5 पदक अपने नाम किए हैं। वहीं इनमें सुशील कुमार (Sushil Kumar) का एक रजत और कांस्य पदक भी शामिल हैं। हालांकि, अन्य पहलवान भी टोक्यो ओलंपिक में अपनी दावेदारी पेश करेंगे। इनमें अंशु मलिक (महिला 57 किग्रा), रवि कुमार दहिया (पुरुष फ्रीस्टाइल 57 किग्रा) और दीपक पूनिया (पुरुष फ्रीस्टाइल, 86 किग्रा) शामिल हैं। बता दें कि ग्रीको रोमन में भारत के लिए कोई भी पहलवान ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाया था। साथ ही आगामी टोक्यो ओलंपिक में अगस्त से कुश्ती के मुकाबले शुरु होंगे।
ओलंपिक में कुश्ती का इतिहास
एंटवर्प ओलंपिक खेलों में भारत ने 1920 में पहली बार दो पहलवानों को उतारा था। साथ ही 1924, 1928, 1932 और 1976 के ओलंपिक खेलों में भारत ने कुश्ती में किसी भी पहलवान को नहीं उतारा था। हालांकि, 1920 में भारत की तरफ से कुश्ती में पहलवान रणधीर सिंह देश को पदक दिलाने के बेहद करीब पहुंच गए थे लेकिन खाशाबा दादासाहेब जाधव ने आखिर में यह श्रेय अपने नाम कर लिया था। वहीं 23 जुलाई 1952 में दादासाहेब जाधव ने हेलंसिकी ओलंपिक में बैंटमवेट में कांस्य पदक जीता था। बता दें कि पहले राउंड में जाधव ने कनाडा के एड्रियन पोलिक्विन पर 14 मिनट 25 सेकेंड तक चले मुकाबले में जीत अपने नाम कर अगले राउंड में मैक्सिको के लियांड्रो बासुर्तो को केवल 5 मिनट 20 सेकेंड में नाकों चने चबवाए।
56 साल बाद खत्म हुआ इंतजार
वहीं 56 साल बाद 2008 बीजिंग ओलंपिक में सुशील कुमार ने कुश्ती में भारत को दो पदक दिलाए। उस दौरान सुशील क्वालिफाईंग राउंड में बाई मिलने के बाद वह आखिरी सोलह के राउंड में यूक्रेन के एंड्री स्टाडनिक से हार गए थे। जिसके बाद स्टाडनिक के फाइनल में पहुंचने से उनको रेपचेज में भिड़ने का मौका मिला और वह कुछ घंटों के अंदर ही तीन मुकाबले जीतक पदक अपने नाम करने में कामयाब रहे। सुशील ने रेपचेज के पहले राउंड में अमेरिका के डग श्वाब को, दूसरे राउंड में बेलारुस के अल्बर्ट बाटिरोव और फाइनल राउंड में कजाखस्तान के लियोनिड स्पिरडोनोव को हराया और कांस्य पदक जीता था। इसके बाद लंदन ओलंपिक में उन्होंने रजत पदक तो योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक हासिल किया। क्वार्टर फाइनल में सुशील ने उज्बेकिस्तान के इख्तियोर नवरुजोव को 3-1 से मात देकर पहली बार फाइनल में प्रवेश किया और कजाखस्तान के अखजुरेक तनातारोव को 6-3 से हराया। हालांकि वह जापान के तात्सुहिरो योनेमित्सु से 0-1,1-3 से हार गए थे।
वहीं इसके एक दिन पहले योगेश्वर दत् ने 60 किग्रा में कांस्य पदक जीता था। लेकिन वह रूस के बेसिक कुदखोव से हार गए थे। उसके बाद योगेश्वर को रेपचेज का मौका मिला और उन्होंने प्यूर्तोरिका के फ्रैंकलिन गोमेज और ईरान के मसूद इस्माइलपुवर को मात देकर फाइनल राउंड में उत्तर कोरिया के रि जोंग म्योंग को हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया था।
2016 के रियो ओलंपिक में महिलाओं के 58 किग्रा में साक्षी मलिक क्वार्टर फाइनल में वेलारिया कोबलोवा से हार गईं। जिसके बाद रूसी पहलवान फाइनल में पहुंच गई जबकि साक्षी ने रेपचेज में ओरखोन पुरेवदोर्ज और कजाखस्तान की एसुलू तिनिवेकोवा को हराकर पदक अपने नाम किया। हालांकि, वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं।
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