देश में जैवलिन एकेडमी ना होने के बावजूद नीरज चोपड़ा कैसे बने Golden boy? यहां जानें

देश में जैवलिन एकेडमी ना होने के बावजूद नीरज चोपड़ा कैसे बने Golden boy? यहां जानें
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नीरज ने बताया कि जब उन्होंने जैवलिन की शुरुआत की तब देश में न ही कोई एकेडमी थी और न ही आज है। साथ ही उन्होंने कहा कि मैंने वीडियो देखदेख जैवलिन थ्रो करना सीखा।

खेल। टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) में देश को गोल्ड दिलाने वाले नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने इतिहास रच दिया है। 121 साल के ओलंपिक इतिहास में पहली बार भारत को ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में मेडल मिला है। यही कारण है कि आज हर जगह देश में गोल्डन बॉय (Golden boy) की चर्चा हो रही है। आए दिन उनके इंटरव्यू हो रहे हैं। हर कोई उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाह रहा है। वहीं इस दौरान नीरज ने एक मीडिया प्रोग्राम में जैवलिन में अपने करियर की शुरुआत की कहानी बयां की।

नीरज ने बताया कि जब उन्होंने जैवलिन की शुरुआत की तब देश में न ही कोई एकेडमी थी और न ही आज है। साथ ही उन्होंने कहा कि मैंने वीडियो देखदेख जैवलिन थ्रो करना सीखा। प्रोग्राम में नीरज ने बताया कि उस वक्त इंटरनेट ज्यादा बेहतर नहीं था, और ना ही यूट्यूब पर कुछ देखना आसान था। इसलिए मैं अपने फोन में जैन जेलेजनी के ज्यादातर वीडियो रखता था और उन्हीं को देखकर मैं जैवलिन का अभ्यास करता था। हालांकि, मैं किस्मत वाला हूं जो शुरुआत में अच्छा ग्रुप मिला, जिससे मुझे काफी मदद भी मिली। साथ ही नीरज ने बताया कि मैंने धीरे धीरे अपनी ट्रेनिंग जारी रखी और तकनीक सीखना शुरु किया।

वहीं उन्होंने आगे कहा कि देश में जैवलिन की एक भी एकेडमी नहीं है। मुझसे जब भी कोई बच्चा पूछता है कि मैं कहां जाऊं सीखने तो मेरे पास उसे देने के लिए जवाब नहीं होता। लेकिन हम इस पर प्लान कर रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि देश में जैवलिन के लिए अलग से कोई एकेडमी बनें। इसके लिए हम सीनियर्स से बात करेंगे जो चाहते हैं कि वो जैवलिन के लिए कुछ करें वे आगे आएं। बता दें कि नीरज चोपड़ा भारतीय सेना में नायब सूबेदार भी हैं। साथ ही उन्होंने एथलेटिक्स की दुनिया में भारत को स्वर्ण पदक दिलाकर गौरवांवित किया है।

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