Tokyo Olympics: अदिति अशोक ओलंपिक में मेडल से चूकीं, चौथे नंबर पर रहीं

Tokyo Olympics: अदिति अशोक ओलंपिक में मेडल से चूकीं, चौथे नंबर पर रहीं
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महिलाओं की व्यक्तिगत स्ट्रोक प्ले के चौथे और आखिरी राउंड में अतिथि अशोक चौथ नंबर पर रहीं, उन्हें न्यूजीलैंड की लाइडिया कू (Lydia Ko) ने बर्डी लगाकर पछाड़ दिया है।

खेल। टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत की झोली में सिल्वर (Silver) और ब्रॉन्ज मेडल (Bronze Medal) तो आ ही चुके हैं, लेकिन अभी भी देश को गोल्ड मेडल (Gold Medal) की दरकार है। एक बार फिर से भारत को गोल्ड की आस जगी थी, और वो आस जगाई थी गोल्फर अदिति अशोक (Aditi Ashok) ने, उनके हैरतअंगेज प्रदर्शन से लगा कि इस बार शायद गोल्ड भारत की झोली में आएगा लेकिन गोल्फ में भी भारत को निराश होना पड़ा। महिलाओं की व्यक्तिगत स्ट्रोक प्ले के चौथे और आखिरी राउंड में अतिथि अशोक चौथ नंबर पर रहीं, उन्हें न्यूजीलैंड की लाइडिया कू (Lydia Ko) ने बर्डी लगाकर पछाड़ दिया है।

बता दें कि, गोल्फ की शुरुआत 1900 के पेरिस ओलंपिक से हुई थी। साथ ही ये खेल ओलंपिक के अगले संस्करण का भी हिस्सा रहा है, लेकिन इसके बाद ओलंपिक में यह खेल नहीं दिखा। एक बार फिर 112 वर्षों के बाद 2016 रियो ओलंपिक में गोल्फ की वापसी हुई, जिसमें भारत की तरफ से शिव चौरसिया, अनिर्बान लाहिड़ी और अदिति अशोक ने डेब्यू किया था।

अदिति का अबतक का सफर

बेंगलुरु में 29 मार्च 1998 में जन्मीं अदिति अशोक ने महज 5 साल की उम्र में गोल्फ खेलना शुरु कर दिया था, वहीं बेटी की गोल्फ के लिए जिद और जुनून को देखते हुए उनके पिता ने उन्हें कर्नाटक गोल्फ एसोसिएशन ड्राइविंग रेंज ले जाने लगे, क्योंकि उस समय बेंगलुरु में सिर्फ तीन गोल्फ कोर्स थे। जिसके बाद अदिति ने गोल्फ को ही अपना करियर बना लिया। जब वो 13 साल की थीं तब उन्होंने 2011 में बेंगलुरु में आयोजित इंडियन ओपन प्रो चैंपियनशिप में भारत की पॉपुलर गोल्फर सिमी मेहरा को पराजित कर सुर्खियों में छा गईं थीं। इसके बाद तो मानों अदिति के नाम कई उपलब्धियां जुड़ने लगी, इसी क्रम में उन्होंने 2013 में एशियन यूथ खेल और 2014 में यूथ ओलंपिक खेल में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

टोक्यो का सफर

क्वालिफाइंग सूची में 45वां स्थान हासिल कर अदिति अशोक ने अपना टोक्यो ओलंपिक का टिकट पक्का किया। वहीं जब उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में प्रतिभाग किया तो उस समय उनकी उम्र महज 18 साल की थी, और वह ओलंपिक में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला गोल्फर बन गई थीं।

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