सुमित ने जज्बे और मेहनत से मुश्किलों को किया पार, अब ओलंपिक में पदक है सपना

सुमित ने जज्बे और मेहनत से मुश्किलों को किया पार, अब ओलंपिक में पदक है सपना
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सुमित ने हरिभूमि से बात करते हुए कहा कि उनके पास ना हॉकी स्टिक थी ना ही जूते थे, उन्होंने अपनी जिंदगी में काफी मेहनत की जिसकी बदौलत उन्हें ओलंपिक में खेलने का मौका मिल रहा है।

खेल। 23 जुलाई से शुरु होने वाले टोक्यो ओलंपिक में अब कुछ ही दिन रह गए हैं। वहीं ओलंपिक खेलों में भारत का सुनहरा इतिहास रहा है, इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि दशकों तक भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक खेलों के पदकों पर अपना कब्जा किया है। लेकिन 1980 के बाद समय बदल गया, तब से अब तक हॉकी टीम ने एक भी पदक नहीं जीता है। इस बार भारतीय पुरुष हॉकी टीम अपने खेल में शानदार प्रदर्शन कर देश के लिए पदक हासिल कर 41 साल का सूखा खत्म करना चाहेगी।

भारत की 16 सदस्यीय पुरुष हॉकी टीम इस वक्त बेंगलुरु में कोच ग्राहम रीड के नेतृत्व में कोचिंग ले रहे हैं। वहीं 16 सदस्यीय टीम में एक ऐसा खिलाड़ी भी है, जिसने अपने जज्बे और मेहनत से मुश्किलों को आसानी से पार कर टीम में जगह बनाई, वह हैं 24 वर्षीय सुमित।


गरीबी में बीता बचपन

सुमित का जन्म 20 दिसम्बर 1996 को हरियाणा के सोनिपत जिले के गांव कुराड़ में हुआ। घर की माली हालात ठीक नहीं थी, बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए सुमित अपने परिवार में सबसे छोटे हैं उनसे पहले उनके दो बड़े भाई हैं। सुमित ने हरिभूमि से बात करते हुए कहा कि उनके पास ना हॉकी स्टिक थी ना ही जूते थे, उन्होंने अपनी जिंदगी में काफी मेहनत की जिसकी बदौलत उन्हें ओलंपिक में खेलने का मौका मिल रहा है।

कई पदक किए अपने नाम


वहीं सुमित जूनियर वर्ल्ड चैंपियन टीम के हिस्सा रहने के अलावा इंडिया हॉकी लीग में 'अमेजिंग प्लेयर ऑफ टूनार्मेंट' रहे। सुमित ने अपनी जीत की शुरूआत मलेशिया में हुए 'सुल्तान ऑफ जोहोर कप' में स्वर्ण पदक जीतकर की थी । इसके साथ ही 2018 में उन्होंने 'एशियन चैंपियंस ट्रॉफी' में स्वर्ण पदक जीता। जिसके बाद बांग्लादेश में आयोजित एशिया कप में स्वर्ण पदक भी जीता। वहीं कई नेशनल प्रतियोगिताओं में अब तक 16 पदक जीत चुके हैं।

मुश्किलों से कभी नहीं डरे


भारतीय पुरुष हॉकी टीम के मिडफील्डर सुमित 2016 में जूनियर विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम में शामिल थे। अपने प्रदर्शन की बदौलत 2017 में उन्हें सीनियर टीम में शामिल कर लिया गया है जिसके बाद वह सुल्तान अजलन शान कप खेलने वाली टीम का हिस्सा बने। हालांकि, 2019 उनके लिए कुछ खास नहीं रहा उस दौरान उनकी दाहिनी कलाई में चोट लगने से वह ज्यादातर समय टीम से बाहर रहे। जिसके बाद कोच ने उनपर विश्वास जताते हुए उन्हें एक मौका दिया जिसमें उन्होंने एफआईएच हॉकी प्रो लीग के पहले दो मैचों में नीदरलैंड के खिलाफ प्रतिस्पर्धा में वापसी की।

मां को बहुत याद करते हैं सुमित


वहीं सुमित ने बताया कि पिछले साल नवम्बर में बीमारी से जूझते हुए उनकी मां का निधन हो गया। साथ ही उन्होंने कहा, "आज अगर मेरी मां जिंदा होती तो मैं अपने साथ उन्हें जहाज में बैठाता और टोक्यो ले जाता।" साथ ही उन्होंने कहा, "भले आज वह अब जीवित नहीं है, लेकिन वह हमेशा मेरे साथ रहती हैं। उनका आशीर्वाद मेरे साथ है।'' सुमित अपनी कामयाबी का श्रेय अपने कोच एन के गौत्तम और बड़े भाई जयसिंह और छोटे भाई अमित को देते हैं। साथ ही वह अपने माता पिता के सपनों को पूरा करना चाहते हैं।

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