Tokyo Olympics: गोल्फर अदिति अशोक मेडल से चूकीं... तो पीएम मोदी और राष्ट्रपति ने बढ़ाया हौसला

Tokyo Olympics: गोल्फर अदिति अशोक मेडल से चूकीं... तो पीएम मोदी और राष्ट्रपति ने बढ़ाया हौसला
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Tokyo Olympics: तीन दिन के बेहतरीन प्रदर्शन पर अदिति अशोक का एक शॉट भारी पड़ गया और वह मेडल से दूर हो गईं। लेकिन उन्होंने अपने खेल से पूरे देश को प्रभावित किया है।

खेल। गोल्फर अदिति अशोक (Aditi Ashok) टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में एक शॉट से इतिहास रचने से चूक गईं। देश को उनसे मेडल की आस थी लेकिन उनके तीन दिन के बेहतरीन प्रदर्शन पर उनका एक शॉट भारी पड़ गया और वह मेडल से दूर हो गईं। लेकिन उन्होंने अपने खेल से पूरे देश को प्रभावित किया है, क्या आम क्या खास आज हर कोई उनकी प्रशंसा कर रहा है उन्होंने कई लोगों को गोल्फ खेलने के लिए प्रेरित किया है।

यहां तक की देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक ने उनके खेल की प्रशंसा की है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने ट्वीट किया, "बहुत अच्छा खेलीं, अदिति अशोक! भारत की एक और बेटी ने नई पहचान बनाई, आज के ऐतिहासिक प्रदर्शन से आपने भारतीय गोल्फ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। आपने बेहद शांत और शिष्टता के साथ खेला, धैर्य और कौशल से प्रभावशाली प्रदर्शन के लिए बधाई।"

प्रधानमंत्री मोदी ने भी अदिति के प्रदर्शन पर ट्वीट करते हुए लिखा कि अच्छा खेला! अदिति अशोक, आपने टोक्यो ओलंपिक में जबरदस्त कौशल और संकल्प दिखाया। आप पदक से मामूली रूप से चूक गईं, लेकिन आप किसी भी भारतीय से कहीं आगे निकल गई हैं, साथ ही आपको आपके भविष्य के लिए शुभकामनाएं।

महिला व्यक्तिगत स्ट्रोक प्ले में अदिति चौथे नंबर पर रहीं, हालांकि शुक्रवार को वह तीसरे राउंड पर थीं लेकिन उन्हें शनिवार को न्यूजीलैंड की लाइडिया कू (Lydia Ko) ने बर्डी लगाकर पछाड़ दिया था। इसके साथ ही वर्ल्ड नंबर वन गोल्फर नैली कोरडा ने गोल्ड जीता, मजेबान जापान की मोने इनामी ने सिल्वर जबकि अदिति को पछाड़ने वाली लाइडिया कू ने ब्रॉन्ज अपने नाम किया। दरअसल 13वें होल तक अदिति दूसरे स्थान पर रही थीं लेकिन वह आखिरी पांच होल में जापानी इनामी और न्यीजलैंड की लाइडिया से वह पिछड़ गईं।

अदिति का अबतक का सफर

बेंगलुरु में 29 मार्च 1998 में जन्मीं अदिति अशोक ने महज 5 साल की उम्र में गोल्फ खेलना शुरु कर दिया था, वहीं बेटी की गोल्फ के लिए जिद और जुनून को देखते हुए उनके पिता ने उन्हें कर्नाटक गोल्फ एसोसिएशन ड्राइविंग रेंज ले जाने लगे, क्योंकि उस समय बेंगलुरु में सिर्फ तीन गोल्फ कोर्स थे। जिसके बाद अदिति ने गोल्फ को ही अपना करियर बना लिया। जब वो 13 साल की थीं तब उन्होंने 2011 में बेंगलुरु में आयोजित इंडियन ओपन प्रो चैंपियनशिप में भारत की पॉपुलर गोल्फर सिमी मेहरा को पराजित कर सुर्खियों में छा गईं थीं। इसके बाद तो मानों अदिति के नाम कई उपलब्धियां जुड़ने लगी, इसी क्रम में उन्होंने 2013 में एशियन यूथ खेल और 2014 में यूथ ओलंपिक खेल में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

टोक्यो में अदिति की कैडी बनी मां

2016 रियो ओलंपिक में अदिति के साथ उनके पिता अशोक गुडलामणि बेटी के साथ कैडी बनकर गए थे, लेकिन टोक्यो में उनके पिता की जगह उनकी मां उनकी कैडी बनकर गई हैं। दरअसल कैडी का मतलब होता है कि उनकी मां उनकी गोल्फ किट या बैग उठाती हैं।


टोक्यो का सफर

क्वालिफाइंग सूची में 45वां स्थान हासिल कर अदिति अशोक ने अपना टोक्यो ओलंपिक का टिकट पक्का किया। वहीं जब उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में प्रतिभाग किया तो उस समय उनकी उम्र महज 18 साल की थी, और वह ओलंपिक में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला गोल्फर बन गई थीं।

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