Tokyo Olympics: दो खिलाड़ियों को मिला गोल्ड के साथ मानवता का मेडल, एक को लगी चोट तो दूसरे ने पदक लेने से किया इंकार

Tokyo Olympics: दो खिलाड़ियों को मिला गोल्ड के साथ मानवता का मेडल, एक को लगी चोट तो दूसरे ने पदक लेने से किया इंकार
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ऑफिशियल ने रूल बुक चेक करते हुए कहा कि अगर आप भी नाम वापस लेते हैं तो हमें आप दोनों को गोल्ड देना होगा। इसके बाद बारशिम ने आखिरी जंप से नाम वापस ले लिया फिर दोनों को ही गोल्ड दिया गया।

खेल। ओलंपिक (Olympics) में खिलाड़ी गोल्ड मेडल (Gold Medal) जीतने के लिए अपनी जी जान लगा देते हैं, जिसके बाद उन्हें गोल्ड मिलता है। यह खेल में कामयाबी का सबसे ऊंचा स्तर माना जाता है, लेकिन इस बार टोक्यो (Tokyo) में कुछ ऐसा हुआ जो गोल्ड मेडल से भी ऊपर था, वह था मानवता का मेडल।

ये मानवता की मिसाल पेश की बारशिम (Mutaz Essa Barshim) और तांबेरी (Gianmarco Tamberi) ने जिन्होंने ना सिर्फ गोल्ड जीता बल्कि पूरी दुनिया में मानवता की मिसाल पैदा की और लोगों के दिलों को जीता है। एक साथ दो खिलाड़ियों को गोल्ड मेडल मिलना वो भी एक ही गेम में बहुत से लोगों के दिमाग में ये सवाल हिचकोले मार रहा होगा। हम बताते हैं ये कैसे मुमकिन हुआ...


आखिरी जंप से पहले चोटिल हुआ इटली का एथलीट

दरअसल हुआ यूं की ओलंपिक में पुरुषों का हाई जंप इवेंट चल रहा था, उसी दौरान बारशिम और इतालवी गियानमार्को तांबेरी ने 2.37 मीटर की छलांग लगाई इसके बाद दोनों एक ही स्थान पर रहे। बाद में जब इवेंट ऑफिशियल्स ने दोनों को तीन-तीन जंप और लगाने को कहा तो दोनों में से कोई भी एथलीट इन तीन जंप में 2.37 मीटर से ऊपर नहीं जा सका।

बारशिम ने पेश की मानवता की मिसाल

फिर भी तीन एक्स्ट्रा जंप के बाद भी विजेता का फैसला नहीं हुआ तो ऑफिशियल्स ने उन्हें एक और जंप करने को कहा लेकिन उससे पहले ही इतालवी एथलीट तांबेरी चोटिल हो चुके थे। जिस कारण उन्होंने अपने पैर की चोट के कारण अपना नाम वापस ले लिया। अब बारशिम के पास मौका था गोल्ड अपने नाम करने का लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, उन्होंने ऑफिशियल से पूछा कि मैं भी नाम वापस ले लूं तो क्या होगा?

वहीं ऑफिशियल ने रूल बुक चेक करते हुए कहा कि अगर आप भी नाम वापस लेते हैं तो हमें आप दोनों को गोल्ड देना होगा। बारशिम ने इसके बाद आखिरी जंप से नाम वापस ले लिया फिर दोनों को ही गोल्ड दिया गया।

आने वाली पीढ़ी को दिया संदेश

बारशिम ने अपने इ ऐतिहासिक फैसले के बाद कहा कि खेल में जीतना ही सब कुछ नहीं होता, आने वाली पीढ़ियों को संदेश दिया है कि कैसे खेलना चाहिए। अपने प्रतिद्वंद्वियों का भी सम्मान करना चाहिए और जो हकदार हो उसके साथ कामयाबी शेयर करनी चाहिए।

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