मां की चुनौती ने Harmilan Bains को बनाया 'ट्रैक क्वीन', बचपन में परियों की कहानी की जगह Sports Story सुनने को मिली

मां की चुनौती ने Harmilan Bains को बनाया ट्रैक क्वीन, बचपन में परियों की कहानी की जगह Sports Story सुनने को मिली
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वारंगल में राष्ट्रीय ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप हुई। इस चैंपियनशिप में महिलाओं की 800 मीटर और 1500 मीटर रेस में पंजाब की एथलीट हरमिलन कौर बैंस ने गोल्ड मेडल जीते।

खेल। वारंगल में 15 से 17 सितंबर के बीच राष्ट्रीय ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप (Indian National Open Athletics Championships) हुई। और इस चैंपियनशिप में महिलाओं की 800 मीटर और 1500 मीटर रेस में 23 साल की पंजाब की एथलीट हरमिलन कौर बैंस (Harmilan Bains) ने गोल्ड मेडल जीते। इस दौरान उन्होंने 2002 बुसान एशियाई खेलों (Asian games) की 1500 मीटर प्रतियोगिता में भारत की सुनीता रानी (Sunit rani) का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। बता दें कि सुनीता रानी ने 1500 मीटर की रेस पूरी कर गोल्ड मेडल जीतकर एशियाड रिकॉर्ड भी बनाया था।


वहीं हरमिलन कौर बैंस के परिजन भी जाने-माने एथलीट हैं। उनकी मां माधुरी सक्सेना 2002 एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता रह चुकी हैं। उस दौरान माधुरी सक्सेना 800 मीटर की रेस में महज 0.77 के अंतर से गोल्ड मेडल से चूक गईं थीं। इसके साथ ही हरमिलन ने अपनी मां और उस समय की गोल्ड मेडलिस्ट केएण बीनामोल का रिकॉर्ड तोड़ा है। 23 वर्षीय इस ट्रैक क्वीन के पिता अमनदीप बैंस भी दक्षिण एशियाई खेलों में 1500 मीटर रेस में देश के लिए पदक जीत चुके हैं।

लेकिन हरमिलन की इस सफलता के पीछे उनके खेल के प्रति प्यार की कहानी नहीं है बल्कि, नफरत की कहानी है। जी हां, माता-पिता एथलीट्स थे लेकिन हरमिलन खेल खासकर दौड़ से नफरत करती थीं। दरअसल जब वह छोटी थीं तो उन्हें परियों की कहानी नहीं बल्कि स्पोर्ट्स स्टोरीज ही सुनने को मिलीं। और शायद इसी चीज ने उन्हें ऐसा बना दिया कि वह खेल खासकर दौड़ से नफरत करने लगीं।


लेकिन, माता-पिता के सपने और इच्छाओं को पूरा करने के लिए हरमिलन ने अपनी उस नफरत को प्यार में बदल दिया। वह पढ़ाई में काफी अच्छी थीं। बावजूद इसके उनके परिजन उन्हें रोज सुबह जल्दी उठाकर रनिंग ट्रैक पर दौड़ाते थे। हालांकि, उस समय वह ये सब बेमन से करती थीं। एक बार तो वह स्थानीय प्रतियोगिता में एक लड़के से हार गईं। लड़के से मिली हार को वह बर्दाश्त नहीं कर पाईं और उनकी एथलेटिक्स में रुचि मानो गायब हो गई हो। उनकी मां ने उन्हें चुनौती दी और प्रेरित किया कि वह उस लड़के को हराए। कड़े अभ्यास के बाद हरमिलन ने उसी लड़के को हराकर रेस जीती।


उनकी इस जीत ने एक बार फिर से उनके मानस पटल पर ऐसा प्रभाव छोड़ा कि सात साल की हरमिलन कौर बैंस की एथलेटिक्स के प्रति नफरत, प्यार में बदल गई। फिर क्या था वह पंजाब यूनिवर्सिटी में एक एथलीट के रूप मे तैयार हुईं। 2019 में उन्होंने यूनिवर्सिटीज में 1500 मीटर के रिकॉर्ड को तोड़ा। उससे पहले उन्होंने 2016 एथियाई जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज और खेलो इंडिया में दो गोल्ड मेडल जीते।

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