Sunday Special: आजादी से अब तक खेलों में भारत को मिल चुकी हैं कई बड़ी उपलब्धियां, आप भी जानें

Sunday Special: अंग्रेजों से भारत (India) को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं। 15 अगस्त 1947 को दिल्ली (Delhi) में जब पहली बार लालकिले (Red Fort) पर ध्वजारोहण किया गया तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि आने वाले दिनों में देश इतनी तरक्की करेगा। वक्त के साथ-साथ देश ने तरक्की तो की ही साथ ही कई क्षेत्रों में दुनिया के सामने खुद को साबित भी किया। वहीं खेलों की दुनिया में भारत को अभी तक कई उपलब्धियां मिली है। खेलों में देश के पास आज भी कई ऐसी यादें हैं जिन्हें कभी भूलाया नहीं जा सकता।
स्वतंत्र भारत का पहला ओलंपिक
भारत ने स्वतंत्र देश के तौर पर 1948 के लंदन ओलंपिक में भाग लिया और ना सिर्फ भाग लिया बल्कि जिस देश ने भारत पर 100 साल तक राज किया उन्हीं की धरती पर फाइनल में उन्हें ही 4-0 से हराकर हॉकी में स्वतंत्र भारत का पहला ओलंपिक मेडल अपने नाम किया। उसके बाद भी भारतीय हॉकी का स्वर्णिम दौर जारी था। ओलंपिक में भारत ने आजादी के बाद 1952 और 1956 के ओलंपिक में भी गोल्ड अपने नाम किया था। 1952 के ओलंपिक गेम्स में बलबीर सिंह ने टीम के लिए फाइनल में 5 गोल दागे। बता दें कि ये 5 गोल आज भी एक रिकॉर्ड के रूप में दर्ज है।
कुश्ती में भारत का पहला ओलंपिक मेडल
वहीं ओलंपिक खेलों में भारत ने व्यक्तिगत तौर पर 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कुश्ती में अपना पहला पदक जीता था। कुश्ती में भारत के लिए केडी जाधव ने 52 किग्रा कैटेगरी में कांस्य पदक अपने नाम किया था। जो कि 44 साल तक देश का इकलौता व्यक्तिगत मेडल रहा।
ओलंपिक में भारतीय फुटबॉल टीम की बादशाहत
फुटबॉल भले ही आज विदेशों में ज्यादा खेला जाता हो लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब भारत ने एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर फुटबॉल के खेल में अपनी बादशाहत कायम कर दी थी। 1951 के एशियन गेम्स में भारत ने फुटबॉल में गोल्ड मेडल जीता और इस जीत के हीरो थे शाहू मेवालाल। उन्होंने ईरान के खिलाफ फाइनल में 1-0 से मुकाबला जीता बल्कि टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 4 गोल भी किए। इसके साथ ही फुटबॉल में हमने 3 ओलंपिक में हिस्सा लिया था।
1975 में हॉकी विश्व कप जीता
खेलों में अगर किसी खेल की सबसे ज्यादा यादें है तो वह है भारतीय हॉकी। 1975 में भारतीय हॉकी टीम ने विश्व कप अपने नाम किया था।
ओलंपिक मेडल से चूके थे मिल्खा सिंह
पूरी दुनिया में फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह आज हमारे बीच नहीं हैं कोरोना के कारण 18 जून को उनका निधन हो गया। लेकिन खेलों की बात हो और मिल्खा सिंह का नाम ना आए तो भारत में खेल उनके बिना अधूरे हैं। वहीं मिल्खा सिंह से जुड़ी यादे तो कई हैं लेकिन 1960 रोम ओलंपिक की 400 मीटर की वो दौड़ हर किसी के जहन में आज भी जिंदा है। क्योंकि उस वक्त सेकेंड से भी कम समय से मिल्खा सिंह कांस्य पदक से चूक गए थे।
क्रिकेट में भारत बना विश्व विजेता
आजादी के बाद से भारत क्रिकेट में अपने पांव जमाने की कोशिश में था। समय के साथ-साथ देश भी क्रिकेट में सुधार कर रहा था। फिर 1983 का वो साल आया जब भारतीय खेलों की स्थिति बदली। और कपिल देव की कप्तानी में भारत ने क्रिकेट ने वर्ल्ड कप अपने नाम किया। यही वो समय था जब भारतीय खेलों में पैसा लाने की नई कहानी लिखी गई।
चेस में भी भारत का डंका बजा
2000 में विश्वनाथन आनंद ने विश्व चेस चैंपियन बनकर पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाई और पहले भारतीय, पहले एशियाई और बॉबी फिशर के बाद पहले गैर सोवियत खिलाड़ी बने।
निशानेबाजी में भारत ने जीता सिल्वर
2004 के एथेंस ओलंपिक में भारत के लिए निशानेबाजी में पहली बार व्यक्तिगत कैटेगरी में देश को राज्यवर्धन राठौड़ ने सिल्वर मेडल दिलाया।
पैरालंपिक में देवेंद्र झाझरिया ने फिर दिलाया गोल्ड
एथेंस पैरालंपिक में भारत के लिए उत्सव भरे रहे। क्योंकि उस वक्त देवेंद्र झाझरिया ने जैवलिन थ्रो में देश को दूसरी बार गोल्ड दिलाया। ये पदक पैरालंपिक में देश ने 32 साल बाद जीता था।
24 साल बाद भारत बना विश्व विजेता
भारतीय युवा टीम ने 2007 में एक बार फिर इतिहास रचा। 24 साल बाद देश महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टी-20 वर्ल्ड कप का विजेता बना। वहीं साल 2011 में श्रीलंका को हराकर भारतीय क्रिकेट टीम ने वनडे में बादशाहत कायम करते हुए वर्ल्ड कप अपने नाम किया।
लंदन ओलंपिक में भारतीय महिलाओं का विजेता पताका
2012 लंदन ओलंपिक में बॉक्सिग में एमसी मैरीकॉम ने देश का गौरव बढ़ाते हुए कांस्य पदक जीता तो वहीं बैडमिंटन में साइना नेहवाल ने भारत की झोली में एक और कांस्य डाला। इसके साथ ही ओलंपिक इतिहास में भारत को पहली बार दो महिला पदक विजेता मिली।
सचिन तेंदुलकर के नाम नया कीर्तिमान
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट क्रिकेट में अपनी 51वीं सेंचुरी बनाकर 100 इंटरनैशनल शतक बनाने वाले पहले बल्लेबाज बने।
पदक से चूकीं लेकिन दिल जीत गईं दीपा करमाकर
2016 रियो ओलंपिक में पहली भारतीय जिम्नास्ट दीपा करमाकर कुछ अंकों से कांस्य पदक से चूक गईं लेकिन अपने बेहतरीन प्रदर्शन से उन्होंने पूरी दुनिया और देश का दिल जीता था।
भाला फेंक में नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास
नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है। भाला फेंक में उन्होंने 87.58 मीटर की थ्रो में उन्होंने पहला पदक जीता।
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