Earth day 2022 Special: पॉलिथीन की दुश्मन और पर्यावरण संरक्षक शैल माथुर, लोगों के लिए बनी प्रेरणास्त्रोत

Earth day 2022 Special: पॉलिथीन की दुश्मन और पर्यावरण संरक्षक शैल माथुर, लोगों के लिए बनी प्रेरणास्त्रोत
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नोएडा (Noida) की पर्यावरण प्रेमी शैल माथुर (Environmentalist Shail Mathur), जिन्होंने सात साल पहले ‘नो प्लास्टिक बैग’ मुहिम की शुरुआत की और तमाम मुश्किलों को पार कर निरंतर अपने पथ पर अग्रसर हैं।

इरादे अगर नेक हों, सरोकारों से प्रतिबद्ध हों और हौसले बुलंद तो कुछ देर से ही सही हमारे प्रयास फलीभूत होते ही हैं। इसकी मिसाल हैं नोएडा (Noida) की पर्यावरण प्रेमी शैल माथुर (Environmentalist Shail Mathur), जिन्होंने सात साल पहले 'नो प्लास्टिक बैग' मुहिम की शुरुआत की और तमाम मुश्किलों को पार कर निरंतर अपने पथ पर अग्रसर हैं। उनके प्रयास हर किसी के लिए एक प्रेरणा है। शैल कथनी नहीं बल्कि करनी में विश्वास रखती हैं। साथ ही स्वच्छ, हरी-भरी धरती, शुद्ध पर्यावरण की कामना करती हैं और इसके लिए प्रतिबद्ध भी हैं। दरअसल अपनी संस्था ट्री के माध्यम से वह विगत सात साल से 'नो प्लास्टिक बैग' अभियान चला रही हैं।


'नो प्लास्टिक बैग' अभियान का मकसद

वहीं शैल माथुर ने क्यों इस अभियान को शुरू करने की सोची? इसका जवाब उन्होंने खुद देते हुए कहा कि, एक समय वो मन ही मन इस बात से बहुत दुखी थीं कि उनके सेक्टर में अक्सर होने वाले सार्वजनिक कार्यक्रमों के बाद कूड़े का ढेर लग जाता था। एक बार पर्यावरण दिवस पर भी यही हुआ। जो पौधे बांटे गए, वे भी बिना देख-रेख के सूख गए।

इसके बाद से ही शैल के मन में ख्याल आया कि सिर्फ कार्यक्रमों और भाषणों से अपनी धरती को नहीं बचाया जा सकता है। इसके लिए व्यावहारिक स्तर पर काम किया जाना चाहिए। इसकी शुरुआत उन्होंने सबसे पहले खुद से की। शैल बताती हैं, 'सबसे पहले मैंने जितना मुमकिन हो सकता था सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद किया।'


आसान नहीं थी राह

खुद में सुधार के बाद 'नो प्लास्टिक बैग' अभियान के लिए शैल ने घर से बाहर निकलकर अपने साथ कई लोगों को भी जोड़ा। यह काम आसान नहीं था। वह बताती हैं, 'सबसे पहले मैंने नोएडा सेक्टर 55-56 की आरडब्ल्यूए और द फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (फोनरवा) के सदस्यों और पदाधिकारियों के सामने यह बात रखी कि हमें सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए। मेरे प्रस्ताव को सबने खारिज कर दिया। फिर मैंने आस-पास के कुछ बच्चों को इस बारे में अवेयर किया, उनके साथ मिलकर सेक्टर 55-56 के साप्ताहिक बाजार में पन्नियों के इस्तेमाल को रोकने की मुहिम चलाई। इसमें भी बहुत मुश्किलें आईं।

पूरी दुनिया से लड़ने की ठानी

इस दौरान दुकानदार उनसे लड़ते, गंदे-गंदे आरोप लगाते, गालियां देते। इससे ज्यादा कष्टप्रद स्थिति शैल के सामने तब आई, जब समाज के जिम्मेदार लोगों ने उनका विरोध किया। वह ऐसी ही एक हताश-निराश करने वाली घटना का जिक्र करते हुए बताती हैं, 'एक दिन किसी पार्टी से जुड़ी महिला साप्ताहिक बाजार में आ गईं। वह जोर-जोर से चिल्लाने लगीं। सब पन्नियां इस्तेमाल करो। कोई रोक नहीं। हमारे मना करने पर उन्होंने मेरे सहयोगी का हाथ मरोड़ दिया। मेरा मोबाइल छीन लिया। छीना- झपटी में मैं गिर पड़ी। सारे सब्जी वाले मेरे विरोध में एक साथ खड़े हो गए। पुलिस बुलाई गई। पुलिस ने भी उस महिला का साथ दिया। मुझसे कहा गया कि मैं लिख कर दूं, यह काम किसके ऑर्डर पर करती हूं। क्योंकि उस समय सरकार की ओर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर कोई रोक नहीं लगी हुई थी। मैंने उन्हें यह लिख कर दे दिया कि एक जिम्मेदार नागरिक की हैसियत से यह सब कर रही हूं, क्योंकि इसमें हम सबका हित है। फिर मैं वहां से वापस घर आ गई। उस दिन मैं खूब रोई। लेकिन पता नहीं कैसे फिर से हिम्मत बटोर कर अगले हफ्ते उसी मार्केट में फिर से डट गई।'


धीरे-धीरे मिला सबका समर्थन

हालांकि, शैल को शुरुआत में भले विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन बाद में समर्थन मिलने लगा। वह याद करती हैं, 'एक बार मैं खोड़ा मंडी गई हुई थी। वहां एक फल विक्रेता फल बेच रहा था। जब मैंने उसे वहां पन्नी देने से रोका उसने मुझे भला-बुरा कहा। मैं कुछ नहीं बोली। उससे कुछ कदम की दूरी पर जाकर दूसरे दुकानदार से बात कर ही रही थी कि मैंने देखा, उस फल विक्रेता ने एक महिला को फल तौलकर पन्नी के बजाय उसकी चुन्नी में दिया। मैंने देखा वह गुस्से में तो था लेकिन उसने अपनी सारी पन्नियां अपने ठेले के निचले हिस्से में दबाकर रख दीं। यह देखकर मुझे अच्छा लगा कि भले ही उसने मुझे इतना भला-बुरा कहा लेकिन उसे इस बात का अहसास है कि पन्नियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। मुझे खुशी है कि प्लास्टिक पन्नी को लेकर मेरी बात को कुछ लोगों ने समझा है। हमारे सेक्टर के रेजिडेंट्स ने भी सिंगल यूज प्लास्टिक के नुकसान को महसूस किया और अधिकतर लोगों ने अपने घरों में इसका यूज बंद कर दिया है। अब मेरे सेक्टर के सारे वेंडर्स भी मेरी बात समझ चुके हैं। अगर कोई कस्टमर पन्नी लेने की जिद करता है तो दुकानदार खुद उन्हें समझाते हैं।'

अभियान को देना है और विस्तार

वहीं शैल माथुर अपने 'नो प्लास्टिक बैग' अभियान को और विस्तार देना चाहती हैं। अब वह पूरे एनसीआर में किसी भी बड़े आयोजन में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कराने में जुटी हुई हैं। उनकी टीम ने कई आयोजनों में जाकर यह प्रदर्शित किया है कि कैसे एक पूरे आयोजन को कचरा और प्लास्टिक मुक्त बनाया जा सकता है। शैल ने लोगों को कचरा प्रबंधन का उपाय बताना भी शुरू किया है। वह कहती हैं, 'मुझे सबसे बड़ी बात यह अखरती है कि मैंने अपने सेक्टर 55-56 में तो पन्नियां बंद करवा दी लेकिन दूसरे सेक्टर्स में धड़ल्ले से प्लास्टिक की पन्नियां इस्तेमाल हो रही हैं। मेरे साथ अगर और वॉलंटियर्स हों तो नोएडा के दूसरे सेक्टर्स में भी मैं पन्नी बंद करा सकती हूं। पूरे नोएडा क्या, पूरे एनसीआर ही नहीं देश के दूसरों शहरों में लोग एकजुट होकर अपने शहर को प्लास्टिक बैग के प्रयोग को बंद करवा सकते हैं। कुछ भी असंभव नहीं है।' शैल एक पल ठहर कर अंत में जोर देकर कहती हैं, 'मैं लोगों से आपकी पत्रिका सहेली के माध्यम यह जरूर कहना चाहूंगी, अगर आप कुछ बड़ा नहीं कर सकते तो कम से कम जब भी घर से निकलें तो एक कपड़े का थैला लेकर निकलें ताकि प्लास्टिक की पन्नी ना इस्तेमाल करना पड़े। इस बात को समझें कि सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल न सिर्फ मानव जाति बल्कि सबके लिए बहुत घातक है।'

प्रस्तुति- सरस्वती रमेश

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