यहां होली के दिन दामाद को मिलती है Deluxe सुविधा!, पूरे गांव में गधे पर बैठाकर कराई जाती है सवारी और फिर...

देशभर में होली (Holi 2022) को अलग-अलग तरीके और रिवाजों के साथ मनाया जाता है। कहीं एक महीने पहले से होली खेली जाती है तो कहीं एक दिन पहले से इस पर्व को बेहद धूमधाम के साथ मनाते हैं। फूल, रंग और गुलाल से खेली जाने वाली होली के बारे में तो आपने खूब सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी गधे पर बैठकर होली का त्यौहार मनाते हुए किसी को देखा है? यकीनन ऐसा तो आपने कभी न देखा होगा और न ही इस तरह से होली (unique Holi Celebration) मनाने का सोचा होगा। हालांकि, देश में एक ऐसी भी जगह है जहां होली के दिन गधे पर बैठकर घुमा जाता है। ये खास तरह की डिलक्स सुविधा घर के दामाद के लिए होती है। आइए जानते हैं कि गधे पर दामाद को बैठाने वाली ये परंपरा कहां, कैसे और क्यों मनाई जाती है...
गधे पर बैठाकर घूमाया जाता है दामाद
दरअसल, महाराष्ट्र (Maharashtra unique Holi Celebration) के बीड जिले में होली के मौके पर दामाद को गधे पर बैठाकर घुमाया जाता है। ये परंपरा खासतौर पर नए दामादों के लिए होती है, मतलब ये हुआ कि इस गांव की जिस बेटी की नई-नई शादी हुई होती है उसके पति को गधे पर बैठाया जाता है। गांव का नया-नया दामाद होली के दिन गधे की सवारी करता है।
80 से ज्यादा सालों से चल रही है ये परंपरा
बीड जिले की केज तहसील स्थित विडा येवता गांव में होली के दिन निभाई जाने वाली ये परंपरा 80 से ज्यादा सालों से मनाई जाती आ रही है। होली की इस परंपरा के तहत नए दामाद को गधे पर बैठाकर रंग लगाया जाता है। इतना ही नहीं, उसे तोहफा भी गधे पर बैठाकर ही देते हैं।
कैसे हुई परंपरा की शुरुआत
ऐसा कहा जाता है कि लगभग 80 साल पहले इस गांव में एक देशमुख परिवार के दामाद ने होली के मौके पर रंग लगवाने से इनकार कर दिया था। ऐसे में रंग लगाने के लिए उनके ससुर उन्हें मनाने की काफी कोशिश करने लगे। इसी दौरान उन्होंने एक गधा मंगवाकर फूलों से सजाया और दामाद को उस पर बैठाकर पूरे गांव में घुमाया था। जिसके बाद से ही विडा येवता गांव में इस परंपरा का चलन शुरू हो गया। जबकि, कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आनंदराव देशमुख नाम के एक निवासी द्वारा इस परंपरा को शुरू किया गया था।
सोशल मीडिया पर छाई रहती है ये होली
सोशल मीडिया पर इस गांव की होली काफी चर्चाओं में रहती है। यहां के लोग न केवल नए दामादो को गधे पर बैठाते हैं। बल्कि, कई बार उन्हें तोहफे में गधा भी गिफ्ट कर देते हैं। इसके अलावा उनके पसंदीदा कपड़े भी गिफ्ट के तौर पर देते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इस परंपरा से बचने के लिए कई दामाद छिपकर भागने की कोशिश भी कर रहे थे। हालांकि, इसमें वो नाकाम रहे और पहरादारी कर रहे गांव के लोगों ने उन्हें पकड़ लिया था। वहीं, कोरोना महामारी के कारण इस परंपरा को बीते कुछ सालों से नहीं मनाया जा रहा है।
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