Motivational Story: वरुण के संघर्षों के सामने बौना साबित हुई आर्थिक तंगी, साइकिल रिपेयर से लेकर IAS तक का सफर

दुनिया भर में प्रेरणा देने वाले कई शख्सियत मिल जाएंगी। इनके संघर्षों को सुनकर और पढ़कर हर कोई हैरान रहता है। जिंदगी के उतार चढ़ाव और परेशानियों में भी सफल होना ये कुछ लोग ही कर पाते हैं। कहते हैं, 'खुदी को कर बुलंद इतना के हर तकदीर से पहले खुदा बन्दे से खुद पूछे के बता तेरी रज़ा क्या है?' इन चंद लाइनों को अपने संघर्ष और मेहनत से सच साबित करने वाले बहुत कम ही लोग दुनिया में है। इन्हीं लोगों में से एक हैं वरुण कुमार बरनवाल (Varunkumar Baranwal IAS), जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपनी जिंदगी में वो मुकाम हासिल किया है जिसका सपना आज का हर युवा देखता है।
मुश्किल हालातों से लड़कर लिखी सफलता की इबादत
एक साइकल रिपेयर करने वाला शख्स, जिसके बाद अपनी स्कूल की फीस भरने तक के पैसे ना हो वो एक दिन देश की सबसे बड़ी और कठिन परीक्षा पास करके आईएएस ऑफिसर (IAS) बन जाए। सिर से पिता का साया उठने के बाद परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था, और वो शख्स मेहनत से यूपीएससी एग्जाम (UPSC Exam) पास कर देता है। ये कोई काल्पनिक कहानी नहीं बल्कि सच्चाई है, मुश्किल हालातों से लड़कर सफलता की इबादत लिखने वाले वरुण ने वो कर दिखाया जिसका ख्वाव कई युवा देखते हैं।
पढ़ाई पूरी करने के लिए नहीं थे पैसे
महाराष्ट्र (Maharashtra) के बोईसर (Boisar) के रहने वाले वरुण बरनवाल पढ़ाई लिखाई में हमेशा से अव्वल रहे, उनके पिता साइकल रिपेयर का काम करते थे। इस दुकान में इतनी कमाई हो जाती थी कि परिवार का पालन पोषण हो जाता था। लेकिन बीमारी के कारण पिता की मृत्यु होने के बाद परिवार पर आर्थिक संकट आ गया। उस समय वरुण ने अपनी 10वीं की परीक्षा दी थी, परिवार की जिम्मेदारी भी सिर पर आ गई, वरुण ने 10वीं परीक्षा में टॉप किया लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे।
पढ़ाई में अव्वल थे वरुण
आगे की पढ़ाई के लिए स्कूल में एडमिशन के लिए 10 हजार रुपये फीस नहीं थी, तभी पिता का इलाज करने वाले डॉक्टर के दिए पैसों से वरुण ने कॉलेज में एडमिशन लिया और संघर्षों के बीच 12वीं तक की शिक्षा पूरी की। वो एक के बाद एक करके सभी परीक्षा टॉप करते चले गए, इस दौरान घर चलाने के लिए उनका पूरा परिवार का काम करता था, फिर चाहे मां हो बड़ी बहन और वरुण खुद अपनी पढ़ाई के साथ ट्यूशन क्लासेस भी देते थे। इतने संघर्ष के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी।
दोस्तों और टीचर्स ने की मदद
आगे की पढ़ाई में उनके दोस्तों और टीचर्स ने उनकी काफी मदद की, फीस भरने से लेकर किताबें खरीदने तक हर चीज में सबने उनकी मदद की। इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद नौकरी भी की, लेकिन इसी बीच किसी के कहने पर उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरु कर दी। साल 2013 में यूपीएससी की परीक्षा में उन्होंने 32वीं रैंक हासिल की, और पहले ही प्रयास में आईएएस बन गए। वरुण कहते हैं कि उनके पास यूपीएससी की कोचिंग लेने के लिए भी पैसे नहीं थे उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए उनके टीचर्स ने उन्हें फीन देने के लिए फोर्स नहीं किया। वहीं इस पूरी मेहनत और संघर्ष के बीच वरुण वर्तमान में गुजरात में बतौर आईएएस अधिकारी तैनात हैं।
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