इस जगह इंसान नहीं बल्कि गांव हैं एक-दूसरे के पार्टनर, 44 गांवों को जोड़े के रुप में जाना जाता है।

इस जगह इंसान नहीं बल्कि गांव हैं एक-दूसरे के पार्टनर, 44 गांवों को जोड़े के रुप में जाना जाता है।
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दरअसल इन गांवों को जोड़ों के रूप में जाना जाता है। यहां के गांवों के नाम कुछ मेल तो कुछ फीमेल के नाम पर पड़ा है।

कई लोग अपने पार्टनर (Partner) से प्यार भरे वादे, बातें करते हैं। अपने पार्टनर के लिए एक पुरुष या महिला किसी भी हद से गुजर जाते हैं। दुनिया भर में कई प्रेम कहानियां (Love Stories) ऐसी भी हैं जो अमर हो गईं। कई कहानियां ऐसी भी होती है जिनके किस्से, कहानियां अक्सर सुनने को मिलते हैं। लेकिन क्या कभी आपने गांवों को एक-दूसरे के साथ जोड़े में रहते हुए देखा है? दरअसल इन गांवों को जोड़ों के रूप में जाना जाता है। यहां के गांवों के नाम कुछ मेल तो कुछ फीमेल के नाम पर पड़ा है।

बता दें कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राजस्थान (Rajasthan) के झालावाड़ा (Jhalawara) जिले में 44 गांव ऐसे हैं जो जोड़े में रहते हैं। पूरे इलाके में ये गांव जोड़े के रूप में जाने जाते हैं। वहीं यहां के बुजुर्गों का कहना है कि पुरानी समय में जब यहां एक बड़ा गांव बसता था तो उसे मेल नाम से जाना जाता था। साथ ही जब इस गांव के आसपास कोई दूसरा गांव बसता था तो उसे फीमेल नाम दे दिया जाता था।

बता दें कि इस जिले के सभी गांव के नामों में अपनापन देखने को मिल रहा है। जिले की 8 पंचायत समितियों में 610 गांव हैं। इनमें से कुल 44 गांवों को पहचाना गया है। इन गांवों के नाम इस तरह हैं-

धानोदा-धनोदी, बड़बेला-बड़बेली, रलायता-रलायती, भीलवाड़ा-भीलवाड़ी, कनवाड़ा-कनवाड़ी, खेरखेड़ा-खेरखेड़ी, उचावदा-उचावदी, भूमाडा- भूमाडी, देवर-देवरी, चाडा-चीडी, अलोदा-अलोदी, पथरिया-पथरी, बरखेड़ा-बरखेड़ी, हतोला-हतोली, अलोदा-अलोदी, चछलाव-चछलाई, सोयला-सोयली, सेमला-सेमली, दोबड़ा-दोबड़ी, बांसखेड़ा-बांसखेड़ी है।

मजेदार बात ये है कि इन गांवों में आपस में कभी भी किसी तरह का झगड़ा या मनमुटाव नहीं होता। ये सभी गांव एक-दूसरे के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हैं और हमेशा सुख-दुख में सात खड़े रहते हैं।

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