Trending News: एक राजा ऐसा भी- जिसे फूलों से नहीं कांटो से था प्यार, जानिए वजह

Trending News: दोस्तों आज हम हर रोज की तरह आपके लिए एक इंटरेस्टिंग और हैरान करने वाली कहानी आपके लिए लेकर आए हैं। यह कहानी फूलों और कांटों से संबंधित एक राजा की है। यदि आपके सामने फूल और कांटें रखे जाएं तो यकीनन आप कांटे को नहीं बल्कि फूल को ही उठाने के लिए चुनेंगे। ऐसा आप इसलिए करेंगे क्योंकि अधिकतर लोगों को फूल ही पसंद हैं। लेकिन आज हम इस आर्टिकल के माध्यम में एक ऐसा राजा के बारे में बताने जा रहे हैं जिस फूलों से नहीं बल्कि कांटों से प्यार था। राजा ने कांटों का बगीचा भी लगाया। तो चलिए जानते हैं...
महाराजा दिग्विजय सिंह को था कांटों से प्यार, लगवाया था बगीचा
रिपोर्ट के अनुसार, महाराजा दिग्विजय सिंह का राजमहल मध्य प्रदेश के रतलाम से 22 दूर सैलाना में था। महाराजा दिग्विजय सिंह ने अपने राजमहल में एशिया का सबसे बड़ा कैक्टस गार्डन (कैक्टस बगीचा) लगवाया था। बताया जाता है कि महाराजा दिग्विजय सिंह ने दुनिया की सैर की लेकिन उन्हें कांटों का बगीचा रास नहीं आ रहा था। रिपोर्ट की मानें तो 1958 में महाराजा दिग्विजय सिंह जर्मनी में प्रवास पर थे। इस दौरान उन्हें कैक्टस के पौधे बहुत पसंद आए। राजा ने जर्मनी से भारत लौटने के बाद कैक्टस गार्डन लगवाने का निर्णय लिया।
राजा ने कैक्टस गार्डन के लिए टेक्सास, जर्मनी, मेक्सिको, अरब, अमेरिका और चिली से कैक्टस के प्लांट सैलाना मंगवाए। इतना ही नहीं राजा ने बकायदा मृदा विशेषज्ञों की सलाह पर अन्य देशों से मिट्टियां भी मंगवाईं थी ताकि कैक्टस के पौधे उग जाएं खराब न हों। राजा ने अपने इस कैक्टस गार्डन को जसवंत निवास पैलेस में लगवाया था। गार्डन में कैक्टस की एक हजार से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। गार्डन में विदेशी कैक्टस से लेकर देसी कैक्टस मौजूद हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वनस्पति विज्ञान के स्टूडेंट्स और वैज्ञानिक अलग-अलग तरह के शोध कार्यों के लिए गार्डन का दौरा करते हैं। क्योंकि, कैक्टस का इस्तेमाल कई मरजों की दवाइयों के बनाने में भी किया जाता है।
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