पुलिस पर हमला करने वालों के खिलाफ NSA के तहत होगी कार्रवाई, जानें क्या है NSA

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के योगी सरकार ने हमलावरों के खिलाफ सख्त फैसला लिया है। सीएम योगी ने कहा कि अगर कोई हमलावर पुलिस पर हमला करता है, तो उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी रासुका (NSA) के तहत कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए 21 दिनों के लिए लॉकडाउन (lockdown) कर दिया गया। इस लॉकडाउन के दौरान कुछ ऐसे घटनाओं की खबर आई कि कई जगहों पर पुलिस और स्वास्थ्य कर्मियों पर हमलावरों के द्वारा लगातार हमला किया जा रहा है।
पिछले दिनों ही बिहार के मुंगेर के कासिमबाजार थाना क्षेत्र के हजरतगंज इलाके में कोरोना वायरस संक्रमण के संदिग्ध व्यक्तियों की जांच के लिए सैंपल लेने गए डॉक्टरों और पुलिस की टीम पर स्थानीय लोगों ने पथराव कर दिया। इसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।
इसी तरह पश्चिम बंगाल के अलग- अलग शहरों में लॉकडाउन के बीच हमलावरों ने पुलिसकर्मी पर हमला कर दिया। इस हमले में 9 पुलिस घायल हो गए। सूत्रों के अनुसार दक्षिणी 24 परगना और पश्चिमी मिदनापुर जिलों में भीड़ लगाए लोगों को हटाने पुलिसकर्मियों पर पथराव कर दिया।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के कई जिलों, मध्य प्रदेश के इंदौर में भी ऐसे ही घटनाओं का मामला सामने आया है।
क्या हैं राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA)
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) 23 सितंबर 1980 को इंदिरा गांधी की सरकार के समय लागू किया गया था। इस कानून के तहत देश की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार को अधिक शक्ति प्रदान करती है। इस कानून को लागू करने का हक केंद्र और राज्य सरकार दोनों के पास है।
अगर केंद्र और राज्य सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति कानून को सही ढंग से चलाने में बाधा डाला रहा है, तो सरकार एनएसए के तहत उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने का आदेश दे सकता है। साथ ही अगर कोई व्यक्ति आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधा डाल रहा है, तो इस दौरान भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
इस कानून का इस्तेमाल जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) की प्रक्रिया
एनएसए के तहत हमलावर व्यक्ति को तीन महीने के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है। हालांकि आरोप के तहत गिरफ्तारी की समय-सीमा को बढ़ाया भी जा सकता है, लेकिन तीन- तीन महीने के अंतराल में। अगर किसी अधिकारी ने व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, तो राज्य सरकार को यह सूचित करना होगा कि उसे किस आधार पर गिरफ्तार किया गया है।
अगर राज्य सरकार गिरफ्तारी को लेकर अनुमति नहीं देती है तो हमलावर व्यक्ति को 12 दिन से ज्यादा गिरफ्तार नहीं रखा जा सकता है। अगर अधिकारी पांच से दस दिन में जवाब दाखिल करता है तो ये अवधि 12 की जगह 15 दिन की जा सकती है।
अगर राज्य सरकार रिपोर्ट के आधार पर मंजूरी देती है, तो उसे सात दिनों के भीतर केंद्र सरकार को भेजना होगा। यह उल्लेख करना आवश्यक है कि यह आदेश किस आधार पर जारी किया गया और राज्य सरकार का इस पर क्या विचार है और यह आदेश क्यों आवश्यक है।
हिरासत में लिया गया व्यक्ति उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है लेकिन उसे मुकदमे के दौरान वकील रखने की अनुमति नहीं है।
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