राम जन्म भूमि को समतल करते वक्त मिले रामदरबार के अवशेष

राम जन्म भूमि को समतल करते वक्त मिले रामदरबार के अवशेष
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पुरातत्वविद केके मोहम्मद ने कहा है कि राम जन्मभूमि परिसर में स्वर्णिम अतीत दफन है। इसलिए समतलीकरण का कार्य भी वैज्ञानिक तरीके से किया जाना चाहिए।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 11 मई समतलीकरण का कार्य चल रहा है। समतलीकरण के दौरान एक दर्जन से अधिक पाषाण स्तंभ पर बनी मूर्तियों के अलावा बड़ी संख्या में देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, नक्काशीदार शिवलिंग और चौखट भी मिली है। बताया जा रहा है कि जिस स्थान पर ढांचे के 3 गुंबद थे। उनमें से एक ढांचे के नीचे कुआं भी मिला है।

खबरों की मानें तो देवी-देवताओं के अलावा कई जगहों से चांदी के छत्र, सिंहासन और रामदरबार से जुड़े कई महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं। आने वाले दिनों में इस बात की जानकारी राम जन्मभूमि ट्रस्ट देगा। पुरातत्वविद केके मोहम्मद इन अवशेषों को 8वीं शताब्दी का बता रहे हैं।

वैज्ञानिक तरीके से किया जाए समतलीकरण का काम

पुरातत्वविद केके मोहम्मद ने कहा है कि राम जन्मभूमि परिसर में स्वर्णिम अतीत दफन है। इसलिए समतलीकरण का कार्य भी वैज्ञानिक तरीके से किया जाना चाहिए। राम जन्मभूमि ट्रस्ट को मंदिर निर्माण के दौरान पुरातात्विक धरोहरों को संरक्षित करने के साथ अतीत के संकेतों को ध्यान में भी रखकर निर्माण की दिशा तय करनी होगी। समतलीकरण में मिली प्रतिमाएं और स्तंभों की तस्वीर देखने के बाद मैं यह कह सकता हूं कि यह 8वीं शताब्दी की हैं।

कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद होगा भूमि और नींव पूजन

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी विमलेंद्र मोहन मिश्र का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप जैसी ही कम हो जाएगा तभी ही राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि और नींव पूजन एक साथ होगा।

विमलेंद्र मोहन मिश्र ने आगे कहा कि श्रीरामजन्म भूमि को दर्शाने वाले उस पिलर को समतलीकरण में भी जस का तस रखा गया है, जो अंग्रेजों के जमाने में लगाया गया था। पीपल और बरगद के वृक्षों से घिरे श्रीरामजन्मभूमि गर्भगृह टीले को भी समतल कर दिया गया है।

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