उत्तराखंड : जल्द ही पुराने मार्ग पर शुरू हो सकती है कैलाश मानसरोवर यात्रा

कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से अपने पुराने रूट पर शुरू करने की बातों को बल मिलता दिख रहा है। यूनेस्को द्वारा इस धार्मिक यात्रा को विश्व धरोहर का हिस्सा मान लेने के बाद इसके दोबारा चंपावत जिले से होकर गुजरने के चांस बढ़ गए हैं।
बता दें कि 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद अगले 20 सालों तक कैलाश मानसरोवर यात्रा को बन्द कर दिया गया था। 1981 में यात्रा जब दोबारा शुरू हुई तो इसके रूट को बदल दिया गया। 2002 में भाजपा सरकार ने यात्रा का रूट फिर से चंपावत जिले से तय किया पर एक साल बाद ही खराब सड़क का हवाला देकर बन्द कर दिया गया।
यूनेस्कों ने इस यात्रा को विश्व धरोहर का हिस्सा बनाने की मंजूरी दे दी है। लेकिन इस प्रस्ताव को पूरा होने में अभी 1 साल का वक्त लगेगा। यूनेस्को ने कैलास मानसरोवर के परंपरागत यात्रा मार्ग को प्रारंभिक प्रस्ताव में अंतिम रूप नहीं दिया है।
इतिहासकार देवेंद्र ओली के अनुसार कैलाश मानसरोवर यात्रा का चंपावत से गहरा संबंध रहा है। यात्री चंपावत के रास्ते बालेश्वर एंव मानेश्वर महादेव की मंदिरों में रात्रि विश्राम करते थे और फिर यात्रा प्रारंभ करते थे। 1981 में जब दोबारा कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू हुई तो यह चंपावत जिले के बजाय अल्मोड़ा जिले से होते हुए जाती थी। यात्रा का जिम्मा तब कुमाऊं मंडल विकास निगम को सौंपा गया था।
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