रोबोट ने की विश्व की पहली सर्जरी, निकाला दुर्लभ ट्यूमर- ऐसे बचाई कैंसर पीड़ित की जान, जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

रोबोट ने की विश्व की पहली सर्जरी, निकाला दुर्लभ ट्यूमर- ऐसे बचाई कैंसर पीड़ित की जान, जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान
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अमेरिका के पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के अस्पताल में पिछले साल अगस्त में नोआ पर्निकॉफ की रोबोट के जरिये सर्जरी हुई। रोबोट का इस्तेमाल सर्जरी के दूसरे हिस्से में किया गया।
कैंसर एक ऐसी बिमारी है जिसके वजह से आज भी बहुत से लोग मर जाते है। कैंसर से बचने के लिए सालों से रिसर्च चल रही है। जिसमें मेडिकल साइंस ने बड़ी सफलता हासिल की है। विश्व में रोबोट के जरिये पहली सर्जरी की गई।
जिसमें एक मरीज की गर्दन से दुर्लभ किस्म के ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाला गया। यह अद्भूद काम भारतीय मूल के एक सर्जन की आगुवाई में हुआ है।
अमेरिका के पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के अस्पताल में पिछले साल अगस्त में नोआ पर्निकॉफ की रोबोट के जरिये सर्जरी हुई। रोबोट का इस्तेमाल सर्जरी के दूसरे हिस्से में किया गया।
यह दुर्लभ किस्म का ट्यूमर कॉर्डोमा कैंसर का एक दुर्लभ प्रकार है जो कि खोपड़ी और रीढ़ की हड्डी में होता है। कॉर्डोमा का ट्यूमर बहुत धीरे-धीरे गंभीर रूप से बढ़ता है लेकिन कई वर्षों तक इसका कोई लक्षण देखने को नहीं मिलता।
अमेरिका के 27 वर्षीय नोआ पर्निकॉफ 2016 में एक कार हादसे में जख्मी हो गए थे और मामूली चोट से उबरने के बाद उनके गर्दन में काफी दर्द होने लगा था। जिसके बाद नोआ पर्निकॉफ ने अपनी गर्दन का एक्सरे कराया।
एक्सरा कराने से पता चला कि नोआ की गर्दन में ऐसा कुछ है वो कि चोट लगने के वजह से नहीं हुआ है। नोआ की गर्दन की बॉयोप्सी की गयी। जिसके बाद पता चला कि नोआ कॉर्डोमा से पीड़ित है।
नोआ पर्निकॉफ कहते है कि 'मैं बहुत खुशनसीब हूं कि डॉक्टरों ने बहुत पहले ही इस, बिमारी का पता लगा लिया। कई लोगों को इस बिमारी के बारे में जल्द पता नहीं लग पाता हैं। जिसकी वजह से इस बिमारी का शीघ्र उपचार मुमकिन नहीं हो पाता है।
कॉर्डोमा काफी दुर्लभ किस्म की बिमारी है जो हर साल दस लाख लोगों में से किसी एक को होती है। पर्निकॉफ के मामले में कॉर्डोमा सी 2 कशेरुका में था। यह और भी दुर्लभ होता है। इसका उपचार और भी ज्यादा मुश्किल होता है।
यह सर्जरी सहायक प्रोफेसर नील मल्होत्रा की अगुवाई वाली टीम ने की। पर्निकॉफ की सर्जरी तीन चरणों में सफल हुई। पहले चरण में न्यूरोसर्जन ने मरीज के गर्दन के पिछले हिस्से में ट्यूमर के पास रीढ़ की हड्डी को काट दिया ताकि दूसरे चरण में ट्यूमर को मुंह से निकाला जा सके।
पहले चरण की सफलता के बाद सर्जिकल रोबोट के इस्तेमाल के जरिये डॉक्टरों की टीम ने उसके गर्दन से मुंह तक के हिस्से को साफ किया जिससे की मल्होत्रा ट्यूमर और रीढ़ की हड्डी के हिस्से को निकाल सकें। अंतिम चरण में टीम ने पर्निकॉफ की रीढ़ की हड्डी को उसकी पहली जगह पर फिट किया। सर्जरी के नौ महिने बाद पर्निकॉफ दुबारा से काम करने लगे हैं।

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