Dev Uthani Ekadashi 2023: क्या आप भी देवउठनी एकादशी पर बजाते हैं थाली?, जानें महत्व
Dev Uthani Ekadashi 2023: आज देशभर में देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन पूजा-पाठ के अलावा थाली बजाने की भी परंपरा है। लेकिन क्या आपको पता है कि आज के दिन थाली क्यों बजाई जाती है।;
Dev Uthani Ekadashi Par Kyo Bajai Jati Hai Thali: आज साल की सबसे बड़ी एकादशी यानी देवउठनी एकादशी है। हर बार यह दिवाली के 11 दिन बाद यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन विष्णु भगवान की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है और शाम को तुलसी जी के साथ इनका विवाह कराया जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन सूप या थाली बजाने की परंपरा है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है। अगर नहीं, तो चलिए आज इसके पीछे की वजह जानते हैं।
एकादशी शुभ मुहूर्त 2023
देवउठनी एकादशी यानी आज पूजा का शुभ मुहूर्त 23 नवंबर की सुबह 06 बजकर मिनट से लेकर 08 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। लेकिन रात को पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर रात 08 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। व्रत खोलने का दिन 24 नवंबर यानी शुक्रवार की सुबह 06 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर सुबह 08 बजकर 57 मिनट तक है।
देवउठनी एकादशी 'थाली' क्यों बजाई जाती है
हम सभी लोग बचपन से ही देखते आ रहे हैं कि दादी-नानी देवउठनी एकादशी के दिन रात को पूजा करते समय सूप या थाली जरूर बजाती हैं। मगर इसके महत्व के बारे में हम में से बहुत ही कम लोग जानते होंगे। मान्यता है कि थाली या सूप को बजाकर सोए हुए देव को उठाया जाता है। साथ ही, घर पर आने का निमंत्रण भी दिया जाता है।
देवउठनी एकादशी से शुरू होते हैं सभी मांगलिक कार्य
हिन्दू शास्त्र के मुताबिक, देवशयनी एकादशी के बाद से ही विष्णु भगवान समेत सभी देवी-देवता अपने धाम को छोड़ पाताल में निवास करने लगते हैं। पाताल में निवास करने की यह अवधि पूरे चार महीने की होती है। इस दौरान सभी देवी-देवता विश्राम करते हैं। इसके अलावा चार महीने तक सभी मांगलिक कार्यों पर भी रोक लग जाती है। लेकिन, देवउठनी एकादशी के दिन से सभी देवी-देवताओं को जगाया जाता हैं। इसके बाद वह अपने-अपने धाम लौटते हैं और मांगलिक कार्य होना आरंभ हो जाते हैं।
ये भी है देवउठनी एकादशी से जुड़ी परंपरा
ऐसी मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन पूजा स्थल के पास गाय-भैंस के पैर, देवी-देवता, कॉपी-किताब, फूल-पत्ती आदि के चिन्ह बनाए जाते हैं। फिर भगवान के पास थाली या सूप बजाकर देवों को जगाया जाता है। इस दिन देवों गीत गाने की भी परंपरा है। देवउठनी एकादशी के दिन 'उठो देव बैठो देव, अंगुरिया चटकाओ देव' बोलना जरूरी होता है। ऐसा बोलने पर हम अपने देवी-देवताओं को घर पर आने का निमंत्रण देते हैं। साथ ही, देवउठनी एकादशी के दिन थाली बजाने से घर की नकारात्मकता चली जाती है और सकारात्मक एनर्जी घर में आती है।
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