दावा आपत्ति के बाद सुनवाई नहीं, सीधे नतीजे, नए नियम से परीक्षार्थी हलाकान
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के फैसले से परीक्षार्थी फिर परेशान हो गए हैं। मामला राज्य अभियांत्रिकी सेवा परीक्षा 2020 का है। पीएससी ने इसके परिणाम जारी कर दिए हैं। ये परिणाम विवादों में इसलिए है क्योंकि पीएससी ने संशोधित माॅडल आंसर जारी किए बगैर सीधे रिजल्ट घोषित कर दिए हैं।;
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के फैसले से परीक्षार्थी फिर परेशान हो गए हैं। मामला राज्य अभियांत्रिकी सेवा परीक्षा 2020 का है। पीएससी ने इसके परिणाम जारी कर दिए हैं। ये परिणाम विवादों में इसलिए है क्योंकि पीएससी ने संशोधित माॅडल आंसर जारी किए बगैर सीधे रिजल्ट घोषित कर दिए हैं। वहीं पीएससी द्वारा जारी की गई अधिसूचना में यह कहा गया है कि छग राजपत्र में संशोधन के बाद विशेषज्ञों द्वारा दावा आपत्ति का निराकरण यह परिणाम जारी किए गए हैं।
सीजी पीएससी द्वारा 15 जनवरी को इस परीक्षा का आयोजन किया गया था। इसके बाद मॉडल आंसर जारी कर से तक परीक्षार्थियों से दावा-आपत्ति मंगाई गई थी। नियमत: दावा-आपत्ति मंगाई जाने के बाद यदि आपत्ति सही पाई जाती है तो मॉडल आंसर में सुधार कर इसे दोबारा जारी किया जाता है। पीएससी ने दावा-आपत्ति तो मंगा ली लेकिन पुन: मॉडल आंसर जारी नहीं किया। सीधे परिणाम जारी किए जाने के कारण कैंडिडेट्स को यह मालूम नहीं चल पा रहा है कि किन प्रश्नों का विलोपन हुआ है तथा किन प्रश्नों के उत्तर पीएससी द्वारा बदले गए हैं।
89 पदों पर होनी है भर्ती
विभिन्न विभागों में इंजीनियर के 89 पदों पर इस परीक्षा के जरिए भर्ती की जानी है। इसमें सिविल, विद्युत तथा यांत्रिकी के पद शामिल हैं। नियमानुसार विज्ञापित पदों से तीन गुना परीक्षार्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। वर्गवार पर्याप्त कैंडिडेट नहीं होने के कारण 267 के स्थान पर 266 कैंडिडेट्स को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया है। इसमें सिविल के 254, विद्युत के 3 तथा यांत्रिकी के 9 उम्मीदवार शामिल हैं। इन उम्मीदवारों के अनुक्रमांक पीएससी की आधिकारिक वेबसाइट में अपलोड कर दिए गए हैं। साक्षात्कार तिथि बाद में जारी की जाएगी।
परीक्षार्थियों में रोष
पीएससी के मुताबिक, राजपत्र में प्रकाशन के बाद ही यह प्रक्रिया अपनाई गई है। दूसरी ओर परीक्षार्थियों में इसे लेकर रोष है। उनका कहना है कि यदि आगे भी दावा-आपत्ति के बाद बगैर संशोधित मॉडल आंसर जारी किए परीक्षा परिणाम जारी किए जाते रहेंगे तो परीक्षाओं में गड़बड़ी की आशंका बढ़ जाएगी। पीएससी पर इस बात के भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि यह नई व्यवस्था कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए की गई है। पूरे मामले में पीएससी का पक्ष जानने के लिए अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनके द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया।