आईआईएम अमृतसर का 7 अक्टूबर को तीसरी बार होगा भूमि पूजन

पहले से दो बार भूमि पूजन करा चुके आईआईएम अमृतसर का 7 अक्टूबर को तीसरी बार एमएचआरडी मंत्री मेश पोखरियाल निशंक द्वारा भूमि पूजन किया जाएगा। पसोपेश में सूची तैयार करने वाले विभागीय अधिकारी, क्योंकि इस प्रक्रिया में भूमि पूजन के नाम पर हो रहा है परंपरा का दोहराव;

Update: 2019-10-04 11:47 GMT

श्रेय लेने की होड़ में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक कोई मौका छोड़ना नहीं चाहते हैं। यदि किसी संस्थान का दो-पांच साल पहले कई बार भूमि पूजन हो चुका है और अब उसका निर्माण कार्य शुरु होने जा रहा है तो माननीय मंत्री एक बार फिर भूमि पूजन के लिए आमादा हैं। इसे तो श्रेय लेने की होड़ ही कहा जाएगा और कुछ नहीं। हरिभूमि को सरकार के सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि इस बाबत उन्होंने उच्च-शिक्षा विभाग के साथ हालिया हुई कुछ बैठकों में संस्थान प्रमुखों और विभागीय अधिकारियों को एक ऐसी सूची तैयार करने का निर्देश भी दिया है, जिसमें जल्द भूमि पूजन के लिए तैयार संस्थानों के नाम शामिल हो। लेकिन इसका जवाब तैयार करने में जुटे विभाग के माथे पर बल पड़ रहे हैं, क्योंकि इस सूची में एकाद संस्थान ऐसा भी है, जिसका पहले भी कई बार भूमि पूजन किया जा चुका है।

आईआईएम अमृतसर इसमें शीर्ष पर है। केंद्रीय मंत्री 7 अक्टूबर को तीसरी बार इसका भूमि पूजन करने जा रहे हैं। उधर मामले ने सियासी रंग भी ले लिया है, जिसमें कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा है कि इससे केवल राजनीतिक स्वार्थ पूर्ति हो रही है। धरातल पर संस्थान कब बनकर खड़ा होगा, कोई नहीं जानता। आम आदमी के टैक्स के पैसे से बस बार-बार भूमि पूजन की रस्म अदा किया जाना निंदनीय है।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि आज जरुरत इस बात की है कि बीते कुछ सालों से निर्माण कार्य की शुरुआत होने की आस लगाए बैठे इन संस्थानों को एमएचआरडी की तरफ से जल्द काम पूरा करने का कोई सख्त निर्देश दिया जाता। जिससे बड़ी तादाद में इनमें शिक्षा ग्रहण करने के इच्छुक छात्रों और समाज दोनों को लाभ होता।

मौजूद है भूमि पूजन का प्रमाण

आईआईएम अमृतसर तीसरी पीढ़ी का एक प्रमुख आईआईएम संस्थान है। इसकी घोषणा मोदी सरकार के पहले कार्याकाल में वर्ष 2014-15 में की गई थी। उसके बाद संस्थान के स्थायी कैंपस के निर्माण की शुरुआत से पहले करीब दो बार इसका भूमि पूजन भी किया जा चुका है। पहली बार इसे पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने किया था। इन दोनों के नाम से एक शिलालेख भी निर्माण स्थल के पास लगा हुआ है।

इसके बाद भाजपा के राज्यसभा सांसद श्वेत मलिक भी इसका भूमि पूजन कर चुके हैं। अब ऐसे में केंद्रीय एमएचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का आगामी 7 अक्टूबर को तीसरी बार आईआईएम अमृतसर का भूमि पूजन करने के लिए जाना गैर-जरुरी सा जान पड़ता है। इस कार्यक्रम में उनके अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी शामिल हो सकते हैं।

अमृतसर को संस्थान की दरकार

अमृतसर से कांग्रेस के सांसद गुरजीत सिंह औजला ने हरिभूमि से बातचीत में कहा कि आईआईएम अमृतसर को लेकर एक नहीं दो बार भूमि पूजन किया जा चुका है। इसमें 2014-15 में एक बार पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने किया था और दूसरी बार श्वेत सिंह मलिक ने किया। अब यह तीसरी बार हो रहा है। मेरी व्यक्तिगत राय यह है कुछ ऐसा करो जो जमीन पर संस्थान खड़ा हुआ दिखाई दे यानि कैंपस तो बनाकर तैयार कराओ।

बाकी राज्यों में आईआईएम पूरे हो चुके हैं। लेकिन अमृतसर वाले का काम अभी तक शुरु ही नहीं हो रहा है। केंद्रीय मंत्री द्वारा जो किया जा रहा है, वह तो ऐसा है कि आपने काम तो एक महीना किया लेकिन सैलरी तीन महीने की मांग रहे हो। संस्थान बनाने में जो पैसा लगता है, वह आम आदमी के टैक्स का पैसा होता है।

जब मंत्री दिल्ली से भूमि पूजन या ऐसे किसी अन्य कार्यक्रम के लिए आते हैं तो इसी पैसे से उनकी यात्रा से जुड़े तमाम खर्चों की भरपाई होती है। मेरा केवल यही कहना है कि कोई भी भूमि पूजन कर दें लेकिन जल्दी निर्माण कार्य पूरा करा दें। क्योंकि अमृतसर बॉर्डर से लगा हुआ एक जिला है। जहां ऐसे संस्थान की छात्रों को नितांत आवश्यकता है।

60 एकड़ में बनेगा संस्थान

आईआईएम अमृतसर के स्थायी कैंपस निर्माण को लेकर अमृतसर के मानांवाला गांव में 60 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई है। मंत्रालय के हिसाब से इस पर कुल 487 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। वर्तमान में गुरुनानक देवी यूनिवर्सिटी (अमृतसर) में संस्थान का अस्थायी कैंपस चल रहा है, जिसमें करीब 200 छात्र प्रबंधन की शिक्षा ले रहे हैं।

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