IAS Success Story: दर्जी का बेटा अखबार बेचकर पालता था परिवार का पेट, दोस्तों से नोट्स मांग कर बन गया आईएएस
IAS Success Story: नीरीश की जॉब छूटने के बाद उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो तैयारी के लिए किताबें तक खरीद सकें, इसलिए वो दोस्तों से नोट्स उधार मांगकर पढ़ाई किया करते थे।;
Motivational Story: UPSC को देश के सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक माना जाता है। हर साल भारत के लाखों युवा इस परीक्षा का हिस्सा बनते है, लेकिन उनमें से कुछ ही ऐसे होते है जो इस प्रतिष्ठित परीक्षा में अपना परचम लहरा पाते है। यूपीएससी शब्द में जितना भारीपन है, उससे उससे कई दुगना मुश्किल है इस परीक्षा को क्लियर कर पाना। इसे पास कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। यूपीएससी परीक्षा के लिए सबसे जरूरी बात जो है, वे है दृढ़ निश्चय और संकल्प । क्योंकि इस परीक्षा में कई उताव-चढ़ाव देखने को मिलते है, लेकिन इसमें सिर्फ वहीं लोग टिक पाते है जिनके हौसले बुलंद हो।
भारत की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा अक्सर कुछ नहीं से सफलता की प्रेरणादायी कहानियों को जन्म देती है। इन कहानियों की तुलना दुनिया के किसी भी करोड़पति और अरबपतियों से की जा सकती है। ऐसी ही एक कहानी है अपने दृढ़ निश्चय से आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी से ऊपर उठना वाले आईएएस अधिकारी निरीश राजपूत की जिन्होंने लाखों उताव चढ़ाव और तमाम मुश्किलों के बावजबूद अपने सपनों की उड़ान ली ।
1. निरीश राजपूत का बचपन आर्थिक तंगी से गुजरा है
मध्य प्रदेश के रहने वाले निरीश आर्थिक खर्चों से जूझ रहे परिवार में पले-बढ़े है। उनके बारे में मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि कैसे उनके पिता, जो पेशे से एक दर्जी थे, उनको घर चलाने के लिए कभी-कभी पैसे उधार लेने पड़ते थे। कड़ी मेहनत के बावजूद अपने पिता की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखकर ही निरीश ने किसी भी परिस्थिति में यूपीएससी परीक्षा को पास करने की संकल्प ली
2. संसाधनों की कमी के बावजूद नहीं छोड़ी पढ़ाई, अख़बार बेचे
सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद उनके लिए आगे के पढ़ाई कर पाना इतना आसान नहीं था। उनकी फीस से परिवार पर बोझ पड़ रहा था। निरीश ने फिर अपने गाँव से ग्वालियर का रूख कर लिया और उसे वहां नौकरी मिल गई। वहां उन्होंने बीएससी (BSC) और एमएससी (MSC) की पढ़ाई की। अपनी शिक्षा का समर्थन करने के लिए संसाधन नहीं होने के कारण, उनके पास अक्सर नोट्स तैयार करने के लिए पैसे नहीं होते थे। बताया जा रहा है कि निरीश अपनी पढ़ाई के लिए कागजात बेचा करते थे। इसके बावजूद, उन्होंने कथित तौर पर बीएससी और एमएससी दोनों में टॉप किया।
3. असफलताओं के बाद वापस उठने का एक सबक
यूपीएससी की तैयारी के दौरान, निरीश राजपूत ने एक दोस्त के लिए काम करना शुरू कर दिया। जिसने एक कोचिंग सेंटर खोला था और उसे एक शिक्षण नौकरी की पेशकश की थी। हालांकि, कथित तौर पर दो साल बाद उनके दोस्त ने उन्हें कोचिंग सेंटर से निकाल दिया था। इसके बाद निरीश अपनी किस्मत बदलने के लिए दिल्ली चले गए।
4. उधार नोट्स के साथ बिना कोचिंग के पास किए यूपीएससी एग्जाम
निरीश ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में एक दोस्त से उन्हें उधार के नोट मिले। कोचिंग के लिए पैसे नहीं होने के कारण, निरीश खुद पढ़ाई करते रहे। इन सब के बीच वे तीन बार असफल भी हुए, लेकिन दृढ़ इच्छा-शक्ति के साथ उन्होंने अंततः यूपीएससी सीएसई परीक्षा को 370 के अखिल भारतीय रैंक के साथ पास कर लिया। निरीश की यह कहानी हमें काभी कुछ सिखाती है।