पीएचडी के लिए नियम बदलने की मांग
शासकीय महाविद्यालयों में सेवाएं दे रहे सहायक प्राध्यापकों ने छत्तीसगढ़ शासन की ओर से तय किए गए नए नियम को लेकर आपत्ति जताकर नियम बदलने की मांग की है। प्राध्यापकों का कहना है कि पीएचडी नहीं हो पाने से उन्हें व्यवहारिक तौर पर बड़ा नुकसान सहन करने मजबूर होना पड़ रहा है।;
शासकीय महाविद्यालयों में सेवाएं दे रहे सहायक प्राध्यापकों ने छत्तीसगढ़ शासन की ओर से तय किए गए नए नियम को लेकर आपत्ति जताकर नियम बदलने की मांग की है। प्राध्यापकों का कहना है कि पीएचडी नहीं हो पाने से उन्हें व्यवहारिक तौर पर बड़ा नुकसान सहन करने मजबूर होना पड़ रहा है।
समौदा आरंग निवासी गोविंद माहेश्वरी के बताए अनुसार अन्य राज्यों के नवनियुक्त सहायक प्राध्यापकों को पीएचडी करने की अनुमति सरलता के साथ दी जा रही है लेकिन छत्तीसगढ़ में शासन ने अलग फैसला लेकर इस पर रोक लगा दी है।
पूर्व में उच्च शिक्षा विभाग के अपर सचिव द्वारा जारी किए गए आदेश पत्र के मुताबिक उनके लिए पीएचडी करने का रास्ता बहुत ही कठिन हो गया है। पीएचडी के लिए 180 दिवस के अर्जित अवकाश उनके अवकाश खाते में उपलब्ब्ध होने की बाध्यता रखी गई है जो बिल्कुल भी न्यायसंगत नहीं है।
इतने अर्जित अवकाश को एकत्र करने में उन्हें 18 वर्ष का समय लगेगा, वह भी उस परिस्थिति में जब कोई सहायक प्राध्यापक 18 वर्ष के सेवा काल में एक भी अर्जित अवकाश न ले। यूजीसी की गाइडलाइन के मुताबिक किसी भी सहायक प्राध्यापक को समय में प्रोन्नति करना है तो उसके पास यथासमय पीएचडी की डिग्री-योग्यता होनी चाहिए।