Delhi Election 2020: अरविंद केजरीवाल से छूट सकती है मुख्यमंत्री की कुर्सी, चुनाव से पहले सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

Delhi Election 2020: 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप पार्टी को 54.34 फीसदी वोट मिले थे, तो बीजेपी और कांग्रेस को क्रमश: 32.19 फीसदी और 9.65 फीसदी वोट मिले थे।;

Update: 2020-02-05 09:08 GMT

Delhi Election 2020: दिल्ली चुनाव में पार्टियों के बीच के वाद-विवाद बड़े रोमांचक होते जा रहे हैं। हर रोज किसी न किसी ट्विस्ट से कभी आप पार्टी का पलड़ा भारी हो जाता है तो कभी बीजेपी सरकार का पलड़ा भारी हो जाता है। दोनों पार्टियां एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए हर घटना को एक मुद्दा बनाकर पेश करने लगी है। शाहीन बाग के गोलीकांड में आप पार्टी की तस्वीरों के कारण अरविंद केजरीवाल की इज्जत पर बात आ गई।

राहुल गांधी ने अपनी जनसभा में बीजेपी सरकार पर कई वार किए। इसी बीच आप ने अपना घोषणापत्र लाकर बीजेपी सरकार को बड़ी टक्कर दे दी। अरविंद केजरीवाल ने इस घोषणापत्र में ऐसी-ऐसी सुविधाओं का जिक्र कर दिया जिससे कई वोटरों का ध्यान उनकी तरफ आकर्षित हो गया। लेकिन बीजेपी भी कहां पीछे रहने वाली थी। उसने अपने 200 सांसदों को मैदान में उतार दिया जो झुग्गी-झोपड़ियों में जाकर लोगों से बात करेंगे।

फिर अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के दुखती नस पर वार करके सारा ध्यान अपनी तरफ खींच लिया। अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर लोगों के सामने लाने की बात कह दी जिससे बीजेपी सरकार अब तक बचती आ रही था। लेकिन दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल की सरकार जिस अधिक आत्मविश्वास से उतरी है, यह कहीं उनके ही खिलाफ न हो जाए।

ये हैं इसके कारण

1. दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की रणनीति के बारे में बात करें तो दिल्ली में कांग्रेस के भी बहुत समर्थक हैं। बाकी दूसरे समर्थक कांग्रेस को वोट न दे दें, इस कारण कांग्रेस पार्टी ने इस बार ज्यादा जनसभाओं का आयोजन नहीं किया। क्योंकि अगर 12 प्रतिशत लोग भी कांग्रेस को वोट देते हैं तो बीजेपी इस चुनाव में बहुमत के साथ जीत जाएगी। इसका कारण ये है कि ये 12 प्रतिशत लोग आप पार्टी के अकाउंट से घट जाएंगे। लेकिन फिर भी अगर कांग्रेस पार्टी को ज्यादा वोट मिल गए तो आप के लिए ये खतरे की बात हो सकती है।

2. अगर हम 2015 के चुनाव की बात करें तो उस चुनाव में आप सरकार और बीजेपी को मिले वोटों में ज्यादा अंतर नहीं है। दिल्ली में 9 सीटें ऐसी हैं जिसमें इन दोनों पार्टियों के वोटों में 10000 से कम का अंतर है। वहीं अगर 8 सीटों पर आप सरकार जीती हैं तो 2 सीट बीजेपी के खाते में हैं। 

3. 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में अगर आप पार्टी को 54.34 फीसदी वोट मिले थे तो बीजेपी और कांग्रेस को क्रमश: 32.19 फीसदी और 9.65 फीसदी वोट मिले थे। अगर इस चुनाव में कांग्रेस के वोटों के प्रतिशत में वृद्धि होती है तो बीजेपी के जीतने की संभावना बढ़ जाएगी।

4. इस चुनाव में शाहीन बाग भी एक बड़ा मुद्दा बन चुका है जिसमें दोनों पार्टियां एक दूसरे पर वार करती जा रही है। लेकिन इस से आप पार्टी को ज्यादा नुकसान हो सकता है क्योंकि बीजेपी नें यह भी तर्क दिया था कि अरविंद केजरीवाल नें ही शाहीन बाग के मुद्दे पर गौर नहीं किया।

5. इसके साथ ही खुद नरेन्द्र मोदी का जनसभा में आना भी अरविंद केजरीवाल के लिए नुकसान का विषय हो सकता है।

6. अमित शाह और नरेन्द्र मोदी का ये कहना कि केन्द्र की योजनाओं को अरविंद केजरीवाल ने ही दिल्ली में लागू नहीं होने दिया भी इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल के विरुद्ध काम कर सकती है।

क्या है बीजेपी की रणनीति

बीजेपी का ध्यान मुख्यत: अभी उन वोटरों पर है जिन्होंने अभी तक अपना उम्मीदवार तय नहीं किया है। अगर बीजेपी सरकार उन वोटरों को अपनी तरफ खींचने में कामयाब हो जाती है तो बीजेपी अरविंद केजरीवाल को कड़ी टक्कर दे सकती है। इतना ही नहीं, अगर इन सभी बिन्दुओं पर गौर किया जाए तो दिल्ली चुनाव में बीजेपी का बहुमत से जीतना लगभग तय माना जा सकता है।

बता दें कि दिल्ली में चुनाव 8 फरवरी को होगा और 11 फरवरी को वोटों की गिनती भी हो जाएगी। यह देखना बड़ा रोमांचक होगा कि इतनी कशमकश के बाद दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन होगा।

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