मौसम की जानकारी : बारिश के साथ गिरे ओले, गेहूं--सब्जी की फसल बर्बाद
दिल्ली में शनिवार को बारिश के साथ गिरे ओलों ने दिल्ली देहात के किसानों की चिंता बढ़ा दी है। किसानों का कहना है कि पिछले सप्ताह हुई बेमौसम की बारिश ने गेंहू, हरी पत्तेदार सब्जियों, फूलों की खेती को नुकसान हुआ है।;
Mausam Ki Jankari : दिल्ली में शनिवार को बारिश के साथ गिरे ओलों ने दिल्ली देहात के किसानों की चिंता बढ़ा दी है। किसानों का कहना है कि पिछले सप्ताह हुई बेमौसम की बारिश ने गेंहू, हरी पत्तेदार सब्जियों, फूलों की खेती को कहीं पूर्णत तो कहीं 60 प्रतिशत से अधिक नुकसान पहुंचाया था और शनिवार को बारिश के साथ फिर आए ओलों ने किसानों के जख्मों पर मानों नमक छिड़क दिया हो।
किसानों का कहना है कि एक सप्ताह बीत चुका है लेकिन दिल्ली सरकार के मंत्री, विधायक या किसी प्रतिनिधि ने किसानों की इस दयनीय हालत पर ध्यान नहीं दिया है। दिल्ली देहात के नरेला, बवाना और बुराड़ी क्षेत्र के किसानों ने बताया कि वैसे तो किसानों को अन्नदाता कहा जाता है लेकिन जब किसानों की फसलों को नुकसान होता है तो केंद्र और राज्य सरकारें भी उनकी तरफ नहीं देखती हैं। हालांकि देश की पूरी अर्थव्यवस्था कहीं सीधे तौर पर तो कहीं अप्रत्यक्ष तौर पर खेती से जुड़ी हुई है।
किसानों में दिल्ली सरकार के प्रति बढ़ा रोष
दिल्ली देहात के बवाना, नरेला विधानसभा के किसानों ने बताया कि दर्जनों गांवों में अधिकतर परिवार खेती और संबंधित कार्यों पर निर्भर हैं। यहां बारिश के साथ आई ओलावृष्टि ने गेंहू, पालक, धनिया, फलों आदि की फसलें खराब कर दी है। किसानों की हो रही अनदेखी पर किसानों ने दिल्ली सरकार के प्रति रोष व्यक्त किया है।
भूसा जलने पर भी सरकार ने नहीं दिया था मुआवजा
बवाना विधानसभा स्थित हरेवली गांव में किसान योगेश शर्मा ने बताया कि गत वर्ष मई माह के दौरान उनके खेत में आग लगने से सूखा भूसा (तूड़ा) व कुछ मात्रा में अनाज जल कर राख हो गया। जिसके चलते ने प्रशासन से आर्थिक मदद की गुहार लगाई थी। किसान ने बताया कि इसकी सूचना स्थानीय पुलिस और दमकल विभाग को दी गई। लेकिन प्रशासन ने व्यस्तता का हवाला देकर रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की। किसान ने बताया कि इसके बाद दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग को संपर्क किया गया लेकिन वहां से भी नुकसान का जायजा लेने कोई नहीं आया। किसान ने बताया कि जले हुए तूड़े को लेकर सरकार से मुआवजे को लेकर काफी चक्कर काटे लेकिन सरकार और प्रशासन ने उनकी जमकर अनदेखी की।