दिल्ली में बज चुका है चुनावी बिगुल, क्या आपको मालूम है किस तरह 7 बार तहस नहस हुई राजधानी!
दिल्ली 7 बार उजड़ने के बाद बसी है। दिल्ली जो भारत का दिल है। उसका हजारों साल पुराना इतिहास रहा है। दिल्ली से न केवल मुगल ने बल्कि कई राजवंशो ने देश भर में शासन किया है।;
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए 8 फरवरी को चुनाव होने जा रहे हैं। चुनाव को मद्देनजर रखते हुए राजनीतियां पार्टियां वोटरों को लुभाने का पूरा प्रयास कर रही है। इसके साथ ही राजनीतिक दलों के नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। इसी बीच हम आपको दिल्ली के इतिहास से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारी से रुबरू कराएंगे जिसे सुनकर शायद आपको उस पर विश्वास ना हो। लेकिन यह सच है कि दिल्ली 7 बार उजड़ने के बाद बसी है। दिल्ली जो भारत का दिल है। उसका हज़ारो साल पुराना इतिहास रहा है। दिल्ली से न केवल मुगल ने बल्कि कई राजवंशो ने देश भर में शासन किया है।
दिल्ली एक लंबी और विरासत का शहर है। आजादी के बाद स्वतंत्र भारत की राजधानी बनने के बाद इस शहर ने एक नई करवट ली। दिल्ली के साथ सुखद और दुखद दोनो पहलू जुड़े हुए हैं। दिल्ली का दिल बार बार हमलों से घायल होता रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली मुख्य रूप से सात बार उजड़ी है। सात बार आबाद होने के दौरान अलग-अलग शासकों ने यहां सार बार शहर बसाए। आइए जानते हैं दिल्ली के उन सात शहरों के बारे में।
1-लालकोट
राजा अनंगपाल ने इन्द्रप्रस्थ से 10 मील दक्षिण में अनंगपुर बसाया। इसके कुछ साल बाद राजा ने लालकोट नगरी बसाई। कहा जाता है कि हुमायुं ने इसकी ही नींव पर पुराना किला बनवाया। 1180 में चौहान राजा पृथ्वीराज तृतीय ने किला राय पिथौरा बनवाया था। किले के अंदर ही कस्बा था। इस किले की प्रचीरों के खंडर अभी भी कुतुबमीनार के आसपास के क्षेत्र में आंशिक रूप से देखे जा सकते हैं। यह दिल्ली का पहला किला था।
2- महरौली
मोहम्मद गोरी के बेटे शहाबुद्दीन ने गद्दी के सम्भालने के बाद अपने सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक को कमान सौंप दी थी। बाद में कुतुबुद्दीन ऐबक को देश का वॉयराय बनाया गया था। बाद में कुतुबुद्दीन ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया था। यह मुस्लिम का पहला वंश था जिसने दिल्ली पर राज शुरु किया था। मुगल सल्तनत शुरू होतो ही कुतुबुद्दीन ने सारे मंदिरों को खत्म करके इस्लामिक रचनाओं का निर्माण किया था। जिसे उसने महरौली का नाम दिया था।
3-सिरी
रज़िया सुल्तान के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक के सल्तनत खत्म हो गई थी। 1296 में अलाउद्दिन खलजी गद्दी पर बठैा। उसने सोना लुटाते हुए दिल्ली में प्रवेश किया। खलजी वशं के छह शासक में सबसे ज्यादा लोकप्रिय अलाउद्दिन खलजी ने अपने वंश का विस्तार दक्षिण भारत तक किया। मेंगोल शासक ने जब हमला किया तब खलजी ने उसके सैनिकों के सिर कलम कर दिवारों में चनुवा दिया था। जिस वजह से उसके किले का नाम सरी पड़ा।
यह दिल्ली के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है। कोई भी दूसरा शासक इस किले पर कब्ज़ा नहीं कर पाया। इस किले को दिल्ली के सुरक्षा के रुप में भी देखा जाता है। यह किला को "दारुल खिलफत" और "केलिफोट के सीट"के नाम भी जाना जाता था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह दिल्ली का पहसा ऐसा शहर था जिसे मुसलमानों ने अंडाकार आकार में बनाया था। यह दिल्ली का तीसर शहर था।
4-तुगलकाबाद
जब खिलजी कमज़ोर हुए तो 1320 में तगुलक दिल्ली आ गए थे। गयासुद्दीन ने तगुलकाबाद किले और गयासपुर के आसपास शहर बसाया। जिसे उन्होंने तुगलकाबाद नाम दिया जो दिल्ली का चौथा शहर है। तगुलकाबाद किला आज भी विशाल पत्थरों के लिए मशहूर है। यह किला 4 बार उजड़ चुका है।
5-फिरोजाबाद
गयासुद्दीन तुगलक के बाद मोहम्मद बिन तुगलक सुल्तान बना और कुछ दिन दौलताबाद को अपनी राजधानी बनाने के बाद वापस दिल्ली लौट आया। उसके बाद उसके चाचा सुल्तान फिरोजशाह तुगलक गद्दी पर बैठे। फिरोजशाह ने यमुना के किनारे कोटला बसाया। तैमूर लंग ने 1398 में दिल्ली पर हमला किया। तीन दिन-तीन रात तक लूटपाट हुई। फिरोजशाह के शानदार शहर को खंडहर बना दिया गया। हजारों लोगों के सिर कलम कर दिए गए। लेकिन तैमूर ज्यादा वक्त नहीं टिक पाया। बहलोल और सिकंदर के बाद इब्राहिम लोदी ने दिल्ली को बसाया और खूबसूरत बनाया। लेकिन शहर फिरोजशाह के आसपास का ही रहा।
6-दीनपनाह
इब्राहिम लोदी को मुगलों के संस्थापक बाबर ने हरा दिया था। बाबर ने बाद में आगरा में अपनी राजधानी स्थापित की। बापर की मौत के बाद हुमायूं दिल्ली आ गया। उसने पुराने किले के आसपास के शहर को दीन पनाह नाम दिया। 1539 में शेर शाह सूरी ने हुमायूं को जंग में खदेड़ दिया और दीनपनाह को शेरगढ़ बना दिया। बंगाल से पेशावर तक सड़क उसी ने बनवाई थी जो बाद में ग्रैंड ट्रंक रोड कहलवाई।
7-शाहजहांबाद
शेर शाह सूरी की मौत के बाद हुमायूं फिर दिल्ली आया। शेरगढ़ को फिर दीनपनाह बना दिया। सात महीने बाद उसकी मौत हो गई और हुमायूं के बेटे अकबर ने आगरा में अपनी राजधानी बनाई। लेकिन शाहजहां ने बाद में दिल्ली का रुख किया और यमुना किनारे शाहजहांबाद की नींव रखी। यह दिल्ली का सातवां शहर था। उसी ने 1638 में लाल किला बनवाया।