दिल्ली-NCR में इतने साल पुरानी डीजल और पेट्रोल गाड़ियों पर लगी पाबंदी, वाहन मालिकों को दी गई ये सलाह

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियां और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को सड़कों पर नहीं चलाया जा सकेगा। इसमें एनजीटी के आदेश के बारे में भी बताया गया है। आदेश के अनुसार, अब दिल्ली एनसीआर की सड़कों पर 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों पर पाबंदी लगा दी गई है। वहीं वाहन मालिकों को सलाह दी गई कि इस कैटगरी की गाड़ियों को स्क्रेप कर दें;

Update: 2021-08-24 10:05 GMT

दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR) में लाखों गाड़ी मालिकों के लिए बुरी खबर सामने आई है। अब 10 साल पुरानी डीजल (Old Diesel Vehicle) वाहनों और 15 साल पुरानी पेट्रोल वाहनों को (Old Petrol Vehicle) नहीं चला सकेंगे। क्योंकि दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने एक विज्ञापन के माध्यम से इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि पुरानी गाड़ियों को चलाने पर रोक लगाई जा रही है। जिसकी पुष्टि दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग (Transport Department) की ओर से की गई है। इस निर्देश में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और नेशनल ग्रीन ट्रायब्यूनल (NGT) के आदेश का हवाला दिया गया है।

क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियां और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को सड़कों पर नहीं चलाया जा सकेगा। इसमें एनजीटी के आदेश के बारे में भी बताया गया है। आदेश के अनुसार, अब दिल्ली एनसीआर की सड़कों पर 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों पर पाबंदी लगा दी गई है। वहीं वाहन मालिकों को सलाह दी गई कि इस कैटगरी की गाड़ियों को स्क्रेप कर दें।

आदेश का उल्लंघन पर गाड़ियां होंगी जब्त

इस आदेश का उल्लंघन करने पर वाहनों को जब्त की जा सकती हैं। इस आदेश को हाल में जारी स्क्रेपेज पॉलिसी से जोड़कर देखा जा रहा है जिसमें पुरानी गाड़ियों को सड़कों से हटाना होगा जिसमें 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियां हैं। इस पॉलिसी के तहत निजी गाड़ी 20 साल बाद और कमर्शियल गाड़ी को 15 साल बाद ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्ट कराना होगा। इस टेस्ट को पास न करने वाले वाहनों को चलाने पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।

जानें क्या है स्क्रेपेज पॉलिसी

नई स्क्रेपेज पॉलिसी के तहत वाहनों की फिटनेस टेस्ट करानी जरूरी है। यह नियम पुराने वाहनों के लिए लागू होगा और नई गाड़ियों पर नहीं। वहीं अगर गाड़ी 15 साल से पुरानी हो गई है तो उसका फिटनेस सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है। इसके लिए देशभर में कई जगहों पर फिटनेस सेंटर बनाए जाएंगे। फिटनेस टेस्ट में जो गाड़ी पास हो जाएगी, उसके लिए दुबारा रजिस्ट्रेशन कराना होगा। लेकिन री-रजिस्ट्रेशन की फीस अभी के मुकाबले 10 गुना तक ज्यादा देनी होगी।

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