हापुड़ में एक मार्च से शुरू होगा चूहों का एनकाउंटर, खबर पढ़कर जानें इनका आरोप
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र 'एनसीआर' में पड़ने वाले यूपी के हापुड़ जिले में कृषि विभाग के समक्ष इस साल भी चूहों ने चुनौतियां पेश कर दी हैं। इस बात से चिंतित विभाग ने इन चूहों के एनकाउंटर की योजना तैयार कर दी है।;
कृषि विभाग (Agriculture Department) इस बार हापुड़ जिले (Hapur district) के चारों विकासखंडों में 362 से ज्यादा गोष्ठियां आयोजित की करेगा। इस बार कृषि विभाग के पास चूहों (mice) को मारने वाली दवा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में कृषि विभाग के कर्मचारी (Department staff) गांव-गांव जाकर ग्रामीणों (villagers) को जागरूक करेंगे कि वो चूहों को खत्म कर दें। कृषि विभाग की ओर से चालाई जाने वाली इस मुहिम की शुरुआत एक मार्च से शुरू होगी व 31 मार्च को संपन्न होगी।
कृषि विभाग की जानकारी के अनुसार चूहे जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) व एक्युट इंसेफेलाइटिस सिड्रोम (एईएस) के प्रमुख संवाहक हैं। यह बीमारी बिहार और यूपी के कुछ जिलों में गर्मियों में कहर बरपाती है। इसी बीमारी को लेकर गत वित्तीय वर्ष में भी एनसीआर में पड़ले वाले यूपी के हापुड़ जिले के प्रत्येक गांव में मुहिम चलाकर चूहों को माया गया था। चालू वित्तीय वर्ष में हापुड़ जिले के विभिन्न गांव विशेष मुहित के तहत चयनित हैं। चयनित गांवों में खेतों के चूहों को मार जाएगा और जो चूहे आबादी के बीच रह रहे हैं, उन चूहों को भी मारने के लिए जागरूक किया जाएगा। कृषि विभाग की ओर से चूहा का खात्मा करने के लिए सभी गांवों के लिए एक कर्मचारी को नियुक्त कर दिया गया है। कृषि विभाग ने बताया कि फसल की कुल क्षति का करीब 10 प्रतिशत नुकसान चूहा ही करते हैं। उपकृषि उपनिदेशक डॉ. वीबी द्विवेदी ने की ओर से ये जानकारियां दी गईं हैं।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि मूषकनाशी रसायन देने के लिए विभाग एक रणनीति तैयार करता है। चूहों को खत्म करने के लिए दिए जाने वाले खाद्य पदार्थ को प्रलोभन चारा कहा जाता है। विभाग के अनुसार पहले दिन चूहों के बिल में भूना भूना हुआ चना बिना रसायन के सरसों के तेल के साथ मिलाएं। दूसरे दिन भी चूहों के बिल में वही प्रक्रिया अपनाएं। तीसरे दिन 10 ग्राम मूषकनाशी रसायन एक ग्राम सरसों का तेल व 48 ग्राम भुने चने को मिलाएं और इस प्रक्रिया के बाद तैयार मिश्रण को चूहों के बिल के पास दें।
कृषि विभाग के अनुसार एक बिल में औसतन चार चूहे साथ में रहते हैं। जो उनका परिवार होता है। इसके अलावा चूहे जिस ग्रुप में रहते हैं, उस समूह के सबसे शक्तिशाली चूहे को वो अपन अगुवा भी चुनते हैं। विभाग का ऐसा मानना है कि उस सबल चूहे की सभी बात का भी पालन करते हैं। विभाग का मानना है कि सबसे पहले नए किसी भी खाद्य पदार्थ को सबल चुहा ही चखता है। उसके बाद सभी चूहे करीब 7-8 घंटों तक उक्त खाद्य पदार्थ के परिणामों का इंतजार करते हैं। अच्छे परिणाम सामने आने के बाद ये सभी चूहे उस खाद्य पदार्थ का सेवन करते हैं। इसके अलावा चूहे अपनी प्रजनन पर लगातार जोर देते हैं और अपनी संख्याबल में बढ़ोतरी करते रहते हैं।