खुद को हाईकोर्ट का जज बताकर एसएचओ से वसूली की कोशिश करने वाला अरेस्ट

खुद को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बता एक एचएचओ से रिट पिटीशन के निपटारे के एवज में पांच लाख की वसूली का प्रयास कर रहे एक शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।;

Update: 2022-12-17 23:49 GMT

खुद को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बता एक एचएचओ से रिट पिटीशन के निपटारे के एवज में पांच लाख की वसूली का प्रयास कर रहे एक शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी का नाम आदर्श नगर निवासी नरेन्द्र कुमार अग्रवाल है। इस शातिर ने समयपुर बादली सब डिवीजन के एसीपी (आईपीएस) वाट्सएप मैसेज कर कहा था वह एक रिट पिटीशन के लिए सयमपुर बादली थाने आएगें। एसएचओ से बातचीत करते हुए उसने रिट पिटीशन को निपटाने के लिए पांच रुपए मांगे। यहीं से पुलिस को इसकी भूमिका पर शक हुआ और इसके बारे में वैरिफाई किए जाने पर पता चला कि वह व्यक्ति फर्जी है।

आउटर नार्थ डिस्ट्रिक्ट डीसीपी देवेश कुमार महला ने बताया कि 16 दिसंबर को आईपीएस अनुराग द्विवेदी (एसीपी) समयपुर बादली सब डिवीजन के अधिकारिक मोबाइल नंबर पर एक मैसेज आया। इस मैसेज में लिखा था कि वह दिल्ली हाईकोर्ट का जज है। पुलिस अफसर को फौरन कॉल करने के लिए कहा गया। मैसेज वाले नंबर पर बात की गई तो उस शख्स ने कहा कि वह शाम पांच बजे रिट पिटीशन के लिए समयपुर बादलगी थाने आएंगे। यह पता चलने पर एसीपी ने एसएचओ समयपुर बादली संजय कुमार को इस बात से अवगत कराया। तय समय पर करीब 60-65 साल का एक शख्स नैनो कार से पुलिस स्टेशन पहुंचा।

उसने कहा कि समयपुर बादली इलाके में संगठित अपराध को लेकर जो रिट पिटीशन फाइल की गई है, वह उसका निजी वैरिफिकेशन करने आएं हैं। उसने कहा कि 15 दिसंबर को हेड कांस्टेबल पवन से यह मैटर हल करने की कोशिश की गई थी लेकिन उसने रिस्पोंड नहीं किया। उसने एसएचओ से रिट पिटीशन के निपटारे के एवज में पांच लाख रुपयों की मांग की। यह सुनकर एसएचओ को कुछ शक हुआ। क्योंकि जज के समयपुर बादली थाने आने को लेकर कोई अधिकारिक तौर पर मैसेज नहीं दिया गया था। ऐसे में पुलिस ने जब इस शख्स की कुंडली खंगाली तो पता चला कि वह कोई जज नहीं है।

नरेन्द्र कुमार अग्रवाल नाम का यह शख्स आदर्श नगर इलाके का रहने वाला है। इसके मोबाइल को चैक किया गया, जिसमें उसके द्वारा जज बनकर भेजे गए कई वाट्सएप मैसेज मिले। इस सबके बीच हेड कांस्टेबल पवन थाने पहुंच गया, जिसने जानकारी दी कि यही शख्स उससे रुपयों की डिमांड कर रहा था। आरोपी महज ग्यारहवीं कक्षा तक पढ़ा है। शुरु में उसने पिता के साथ तेल का बिजनेस किया था। 1980 में इसके ऊपर आवश्यक वस्तु अधिनियम एक्ट के तहत दो केस दर्ज हुए थे। उसी साल इसकी शादी हुई और दो बेटे है।

साल 1995 में पत्नी की मौत हो गई। अगले ही साल उसने ऑफिस में कम्पयूटर ऑपरेटर का काम करने वाली एक महिला से शादी कर ली। इस पत्नी से उसके तीन बेटे हुए। वह स्टॉक मार्किट का काम भी करने लगा था, लेकिन साल 2005 में इस बिजनेस में उसे काफी नुकसान हो गया। साल 2011 में इसकी पत्नी ने कोर्ट में दहेज प्रताडना का केस फाइल कर दिया। कोर्ट में पेशी के दौरान उसे जज की शक्ति का पता चला। उसने महसूस किया कि जो आर्डर जज देता है उसे पुलिस फौरन फॉलो करती है।

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