फर्जी कागजात के जरिए मुहैया कराया था लोन, बैंक का पूर्व एजीएम गिरफ्तार

नई दिल्ली की सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व एजीएम को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपी का नाम के कन्नदासन है। पुलिस की माने तो आरोपी ने फर्जी कागजात के जरिए लोन मुहैया कराया था।;

Update: 2021-02-22 01:26 GMT

नई दिल्ली  की सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व एजीएम को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपी का नाम के कन्नदासन है। पुलिस की माने तो आरोपी ने फर्जी कागजात के जरिए लोन मुहैया कराया था।

जांच के दौरान आरोपी पर इसी तरह के अन्य मामलों में शामिल होने की बात सामने आई है। आरोपी के खिलाफ शिकायत मिलने पर सीबीआई ने भी तीन फर्जीवाड़े के मामले दर्ज किए हैं। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर जांच में जुटी है।

डीसीपी डॉ. ओपी मिश्रा ने बताया कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य प्रबंधक वी के चौहान ने वर्ष 2019 में शाखा में फर्जीवाड़ा की शिकायत की। पुलिस ने उनकी शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया।

जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि वर्ष 2012 में दीपक मल्होत्रा और इंदू बाला ने राधिका इंटरनेशनल की ओर से सेंट्रल बैंक की आनंद पर्वत शाखा में 225 लाख रुपये लोन लेने का आवेदन किया था।

लोन लेने के लिए इन लोगों ने एक प्रॉपर्टी भी गिरवी रखी थी। इसके बाद दीपक मल्होत्रा ने रुचि मल्होत्रा और इंदू बाला के साथ मिलकर इसी ब्रांच ने मोर्टगेज स्कीम के तहत 48 लाख का लोन लिया। बैंक ने उन्हें लोन मुहैया कर दिया।

लोन की किस्त न देने पर बैंक ने दीपक मल्होत्रा और इंदू बाला के खाते की जांच की। जांच के दौरान उन्हें पता चला कि बैंक के पास जमा की गई बैलेंस शीट फर्जी है। साथ ही वह कोई कारोबार भी नहीं कर रहे हैं।

आगे जांच में उन्हें पता चला कि इन्होंने जो प्रॉपर्टी गिरवी रखी थी। वह भी इंदू बाला के नाम नहीं है। इस तरह से बैंक को 283 लाख रुपये का नुकसान हुआ था। बैंक की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की।

गिरवी प्रॉपर्टी को कई बार बेचा

जांच में पुलिस को पता चला कि लोन लेने से पहले दीपक की मां इंदू बाला ने गिरवी रखी प्रॉपर्टी को कई लोगों को बेचा। साथ ही पुलिस यह भी पता चला कि ऐसे कागजात कर्नाटक बैंक में भी गिरवी है। शाखा ने फर्जीवाड़ा का एक अन्य मामला दर्ज कर लिया।

जांच में यह बात सामने आई कि लोन के लिए अप्लाई करने के बाद मुख्य बैंक प्रबंधक ने उचित प्रक्रिया अपनाए बिना लोन को तुरंत मंजूरी दे दी। आरोपी व्यक्ति बैंक अधिकारी था, जिसने जाली दस्तावेजों के आधार पर लोन स्वीकृत किया।

आग जांच में पुलिस को यह पता चला कि लोन को तुरंत मैनेजर के कन्नदासन ने स्वीकार किया। उसके खिलाफ सीबीआई ने भी तीन फर्जीवाड़ा का मामला दर्ज किया था। जांच के बाद पुलिस ने उसे चेन्नई से पकड़ लिया।

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