Land Scam: केंद्र की जमीन के साथ किया था बड़ा गड़बड़ झाला, अब नए LG ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों के खिलाफ लिया बड़ा एक्शन

जमीन हस्तांतरण के कथित घोटाले मामले (Scam Cases) दिल्ली सरकार (Delhi Government) के तीन अधिकरियों को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (Vinay Kumar Saxena) के निर्देश पर दो सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (Divisional Magistrate) और एक डिप्टी सेक्रेटरी (Deputy Secretary) को सस्पेंड (Suspend) कर दिया गया है।;

Update: 2022-06-25 07:07 GMT

जमीन हस्तांतरण के कथित घोटाले मामले (Scam Cases) दिल्ली सरकार (Delhi Government) के तीन अधिकरियों को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (Vinay Kumar Saxena) के निर्देश पर दो सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (Divisional Magistrate) और एक डिप्टी सेक्रेटरी (Deputy Secretary) को सस्पेंड (Suspend) कर दिया गया है।

तीनों अधिकारी बाहरी दिल्ली में हुए जमीन घोटाले में शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) से अतिरिक्त जिलाधिकारी के पद पर तैनात नागेंद्र शेखर पति त्रिपाठी (Nagendra Shekhar Pati Tripathi) नाम के एक अन्य अधिकारी को भी घोटाले में शामिल होने के आरोप में निलंबित करने की सिफारिश की है।

सूत्रों के अनुसार अधिकरियों पर 2015 से 2021 के दौरान जमीन को खाली बताकर इसे निजी संस्थाओं को हस्तांतरित करने में अनियमितता का आरोप है। सभी अधिकारी हर्षित जैन, प्रकाश चंद ठाकुर, देवेंद्र शर्मा और नागेंद्र शेखर पति त्रिपाठी ने अलीपुर के एसडीएम (SDM) पद पर अलग-अलग समय पर रहते हुए उन्होंने कथित तौर पर खाली पड़ी सरकारी जमीन का मालिकाना हक निजी संस्थाओं (Private Entities) के नाम पर ट्रांसफर (Transfer) करने का आदेश दिया था।

इन अधिकारियों ने 2015 से जून 2021 के बीच केंद्र सरकार (Central Government) की जमीन निजी लोगों को बेचने का आरोप है। देवेंद्र शर्मा ने जून 2015 में एक ही दिन में अलग-अलग आदेशों में निजी व्यक्तियों को सरकारी भूमि पर स्वामित्व अधिकार दिया, जबकि प्रकाश चंद ठाकुर ने जून 2019 में भूमि अधिकार दिया। उधर, नागेंद्र शेखर, पति त्रिपाठी ने नवंबर 2019 में अलग-अलग आदेशों में भूमि स्वामित्व का अधिकार दिया और जून 2021 में हर्षित जैन ने भी ऐसा ही किया।

बता दें उत्तरी दिल्ली जिले के झंगोला गांव की इस जमीन के कुछ हिस्से रिफैत के बेटे कर्मू के थे। उनके पाकिस्तान (Pakistan) चले जाने के बाद इस जमीन को खाली घोषित कर दिया गया था।

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