क्रॉस जेंडर मसाज पर लगी रोक को दिल्ली HC ने हटाया, नगर निगम और दिल्ली पुलिस को दिए ये आदेश
देश की राजधानी दिल्ली की अदालत (दिल्ली हाई कोर्ट) ने गुरुवार को राजधानी के स्पा सेंटरों (Spa Centers) में क्रॉस जेंडर मसाज (Cross Gender Massage) पर लगे प्रतिबंद पर स्टे लगा दिया है। कोर्ट ने पाया कि स्पा सेंटरों में देह व्यापार की रोकथाम और पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बीच कोई तार्किक संबंध नहीं है।;
देश की राजधानी दिल्ली की अदालत (दिल्ली हाई कोर्ट) ने गुरुवार को राजधानी के स्पा सेंटरों (Spa Centers) में क्रॉस जेंडर मसाज (Cross Gender Massage) पर लगे प्रतिबंद पर स्टे लगा दिया है। कोर्ट ने पाया कि स्पा सेंटरों में देह व्यापार की रोकथाम और पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बीच कोई तार्किक संबंध नहीं है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि उनका विचार है कि क्रॉस लिंग मालिश पर पूर्ण प्रतिबंध का दिल्ली सरकार (Delhi Government) की नीति के उद्देश्य से कोई लेना-देना नहीं है।
सरकार की नीति का उद्देश्य राजधानी में स्पा सेंटरों की गतिविधियों को विनियमित करना और मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति को रोकना है। अदालत ने कहा कि अधिकारियों को अवैध गतिविधियों को हतोत्साहित करने के लिए स्पा केंद्रों को विनियमित करने के लिए कदम उठाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा लगता है कि पूर्ण प्रतिबंध की नीति स्पा चलाने वाले लोगों से परामर्श किए बिना तय की गई थी।
कोर्ट ने आदेश दिया कि इस नीति के क्रियान्वयन और संबंधित प्रावधानों पर अगली तारीख तक रोक लगा दी जाएगी। वहीं कोर्ट ने तीनों नगर निगमों और दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को एक सप्ताह के भीतर अपने-अपने इलाकों का निरीक्षण कर अवैध स्पा सेंटरों ( Illegal Spa Centers) के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि अगर निरीक्षण के दौरान कोई अवैध गतिविधि सामने आती है तो पुलिस उचित धाराओं के तहत मामला दर्ज करेगी और तुरंत नगर निगम को सूचित करेगी।
हाईकोर्ट ने स्पा सेंटर मालिकों और चिकित्सक की ओर से दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। इन याचिकाओं में दिल्ली सरकार की नीति और बाद में निगमों द्वारा जारी किए गए निर्देशों को चुनौती दी गई थी जिसके तहत क्रॉस जेंडर मसाज पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया था।
दिल्ली सरकार ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि महिलाओं और बच्चों को स्पा सेंटरों में होने वाली वेश्यावृत्ति से बचाने के लिए प्रतिबंध लगाया गया था। याचिकाकर्ताओं में से एक, एसोसिएशन ऑफ वेलनेस आयुर्वेद एंड स्पा ने अदालत को बताया कि क्रॉस लिंग मालिश पर प्रतिबंध संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन के कारण असंवैधानिक था।