GNCTD संशोधन कानून को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर, उपराज्यपाल और केंद्र को नोटिस जारी

दिल्ली सरकार की ओर से स्थायी वकील संतोष त्रिपाठी ने इस याचिका का तकनीकी पहलुओं के आधार पर विरोध किया। त्रिपाठी ने पीठ से कहा कि याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसमें दिल्ली की चुनी हुई सरकार को पक्षकार नहीं बनाया गया है। उन्होंने याचिका को आधारहीन बताते हुए इसे खारिज करने की मांग की है।;

Update: 2021-05-18 10:02 GMT

दिल्ली में उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) को अतिरिक्त शक्तियां देने को लेकर जीएनसीटीडी संशोधन कानून (GNCTD Act) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने मंगलवार को केंद्र (Central Government) से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में केंद्र सरकार द्वारा जारी इस संशोधन कानून को रद्द करने की मांग की गई है। हाई कोर्ट की पीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और उपराज्यपाल कार्यालय को नोटिस जारी जवाब मांगा है। पीठ ने एक वकील की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है।

उपराज्यपाल की शक्ति बढ़ाना लोकतांत्रक सरकार के लिए उचित नहीं: याचिकाकर्ता

इससे पहले दिल्ली सरकार की ओर से स्थायी वकील संतोष त्रिपाठी ने इस याचिका का तकनीकी पहलुओं के आधार पर विरोध किया। त्रिपाठी ने पीठ से कहा कि याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसमें दिल्ली की चुनी हुई सरकार को पक्षकार नहीं बनाया गया है। उन्होंने याचिका को आधारहीन बताते हुए इसे खारिज करने की मांग की है। बेंच ने यह आदेश विश्वनाथ अग्रवाल की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने पीठ को बताया कि केंद्र द्वारा संशोधित कानून से लोगों में इस बात को लेकर भ्रम फैलेगा कि राजधानी में निर्णय कौन लेगा, उपराज्यपाल या चुनी हुई सरकार। इसके साथ ही यह भी कहा है कि उपराज्यपाल की शक्ति बढ़ाना लोकतांत्रक सरकार के लिए उचित नहीं है।

कालरा की जमानत पर जल्द निर्णय लेने का निर्देश देने संबंधी याचिका खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन सांद्रकों की कालाबाजारी के मामले में गिरफ्तार कारोबारी नवनीत कालरा की वह याचिका मंगलवार को खारिज कर दी जिसमें उन्होंने अपनी जमानत पर जल्द निर्णय लेने का निचली अदालत को निर्देश देने का अनुरोध किया था। अदालत ने कहा कि कानून को उसका काम करने दीजिए। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कालरा की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते समय निचली अदालतत द्वारा की गई टिप्पणियों में हस्तक्षेप करने से भी इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि अदातलों द्वारा की गई टिप्पणियों और मीडिया संगठनों द्वारा उनकी रिपोर्टिंग किये जाने के बारे में उच्चतम न्यायालय पहले ही कानूनी स्थिति स्पष्ट कर चुका है। हाईकोर्ट ने कालरा को राहत प्रदान करने से इनकार कर दिया।

Tags:    

Similar News