दिल्ली HC ने बच्चों के बयान दर्ज करने संबंधी याचिका में दिल्ली सरकार से मांगा जवाब

याचिका में अनुरोध किया गया है कि इन बच्चों को कोविड-19 संबंधी जांच के लिए सरकारी अस्पतालों में ले जाने के बजाए बाल देखभाल संस्थाओं या जहां उन्हें रखा गया है, उन घरों में या एसडीएम कार्यालय में ले जाना चाहिए।;

Update: 2020-07-20 11:26 GMT

दिल्ली हाईकोई ने बाल श्रम से बचाए गए बच्चों को कोविड-19 महामारी के मद्देनजर कोर्ट में ले जाने के बजाए वीडियो-कॉन्फ्रेंस के जरिए उनके बयान दर्ज करने का निर्देश देने संबंधी याचिका पर दिल्ली सरकार और पुलिस से सोमवार को जवाब मांगा। याचिका में अनुरोध किया गया है कि इन बच्चों को कोविड-19 संबंधी जांच के लिए सरकारी अस्पतालों में ले जाने के बजाए बाल देखभाल संस्थाओं या जहां उन्हें रखा गया है, उन घरों में या एसडीएम कार्यालय में ले जाना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल की पीठ ने दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किया और उनसे 28 जुलाई तक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'बचपन बचाओ आंदोलन' की याचिका पर अपना रुख बताने को कहा। वीडियो-कांफ्रेंस के जरिए सुनवाई के दौरान एनजीओ की वकील प्रभसहाय कौर ने अदालत से अपील की कि सुनवाई की आगामी तारीख तक दंडाधिकारी के सामने बच्चों के बयान दर्ज करने के लिए उन्हें अदालत नहीं लाया जाए।

एनजीओ की इस चिंता को दिल्ली सरकार के वकील ने दूर कर दिया। दिल्ली सरकार के वकील ने पीठ को बताया कि सुनवाई की आगामी तारीख तक किसी भी बच्चे को बयान दर्ज करने के लिए अदालत नहीं ले जाया जाएगा। सरकारी वकील ने पीठ को बताया कि प्रशासन वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बयान दर्ज करने पर विचार कर रहा है और उसने बयान दर्ज कराने के लिए दंडाधिकारियों को बाल देखभाल संस्थाओं या घरों में भेजने का विकल्प भी सुझाया।

एनजीओ ने अपनी याचिका में कहा कि उसने प्राधिकारियों के साथ मिलकर हाल में छापा मारा था और बाल श्रम से कई बच्चों को बचाया था। इसके बाद, बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने पुलिस को दंडाधिकारी के सामने बच्चों का बयान दर्ज करने का निर्देश दिया था। 

दिल्ली हिंसा: हाईकोर्ट में पुलिस ने इशरत जहां की याचिका का विरोध किया

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोई में कांग्रेस की पूर्व निगम पार्षद इशरत जहां की एक याचिका का विरोध किया। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी में सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में आतंक रोधी कानून यूएपीए के तहत मुकदमे का सामना कर रहीं जहां ने जांच के लिए 60 और दिन देने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी है। जांच पूरी करने के लिए 90 दिन से अधिक का समय प्रदान करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई की। 

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