Farmers Protest: किसानों का आंदोलन 50वें दिन भी जारी, आज प्रदर्शनकारी जलाएंगे कृषि कानूनों की प्रतियां

दिल्ली सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा कि वह बुधवार को लोहड़ी के मौके पर प्रदर्शनस्थलों पर नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाएंगे। वसंत की शुरुआत में अधिकतर उत्तर भारत में लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है।;

Update: 2021-01-13 06:22 GMT

Farmers Protest Updates नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन 50वें दिन भी जारी है। दिल्ली की जबरदस्त ठंड में किसान बॉर्डरों पर अभी भी डटे हुये है। वहीं किसानों और केंद्र के बीच बात बनती नजर नहीं आ रही है। दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़े है। वहीं किसान और केंद्र की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है। आपको बता दें कि नये कृषि कानूनों को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुये सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक तीन कानूनों को लागू करने पर रोक लगाई।

वसंत की शुरुआत में उत्तर भारत में मनाया जाता लोहड़ी का त्योहार

दिल्ली सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा कि वह बुधवार को लोहड़ी के मौके पर प्रदर्शनस्थलों पर नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाएंगे। वसंत की शुरुआत में अधिकतर उत्तर भारत में लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन लोग लकड़ियां इकट्ठी करके जलाते हैं और सुख एवं समृद्धि की कामना करते हैं। किसान नेता मंजीत सिंह राय ने बताया कि सभी प्रदर्शन स्थलों पर आज शाम कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर वे लोहड़ी मनाएंगे।

किसान संगठन आज बनाएंगे आगे की रणनीतियां

प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों का शीर्ष संगठन संयुक्त किसान मोर्चा आज दिन में आगे की रणनीति तय करने के लिए बैठक भी करेगा। किसान संगठनों ने कल कहा था कि वे उच्चतम न्यायालय की तरफ से गठित समिति के समक्ष पेश नहीं होंगे और आरोप लगाया कि यह सरकार समर्थक समिति है। किसान संगठनों ने कहा कि उन्हें तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। उन्होंने तीन कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया। हालांकि समिति के सदस्यों की निष्पक्षता पर भी संदेह जताया है।

किसानों की समस्याओं पर विचार के लिये चार समिति का किया गया गठन

सुप्रीम कोर्ट ने तीन नये कृषि कानूनों को लेकर केन्द्र सरकार और दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे रहे किसान संगठनों के बीच व्याप्त गतिरोध खत्म करने के इरादे से मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही किसानों की समस्याओं पर विचार के लिये चार सदस्यीय समिति का गठन किया था।

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