Farmers Protest: तीन महीने से किसानों का आंदोलन जारी, राकेश टिकैत बोले- संशोधन नहीं, कृषि कानूनों को खत्म करों, वरना...
Farmers Protest: कृषि क़ानूनों (Farmlaws) में संशोधन पर किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि हमें संशोधन नहीं चाहिए, क़ानून खत्म होना चाहिए। बिना पूछे आपने क़ानून बना दिया और फिर पूछते हो कि इसमें कमी क्या है? अनाज़ को तिजोरी में बंद करना चाहते हैं, भूख पर व्यापार करना चाहते हैं, ऐसा नहीं होगा।;
Farmers Protest नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र के खिलाफ किसानों का आंदोलन तीन महीने से चल रहा है। वहीं दिल्ली के बॉर्डरों (Delhi Border) पर अभी भी किसान इस आस में बैठे है कि केंद्र (Central Government) इन कानूनों को रद्द करेगी। लेकिन केंद्र और किसान दोनों अपनी-अपनी रुख पर अड़े है। कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं। इसी बीच, कृषि क़ानूनों (Farmlaws) में संशोधन पर किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि हमें संशोधन नहीं चाहिए, क़ानून खत्म होना चाहिए।
बिना पूछे आपने क़ानून बना दिया और फिर पूछते हो कि इसमें कमी क्या है? अनाज़ को तिजोरी में बंद करना चाहते हैं, भूख पर व्यापार करना चाहते हैं, ऐसा नहीं होगा। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने की खातिर किसान नेता राकेश टिकैत मार्च में पांच राज्यों का दौरा करेंगे। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के एक पदाधिकारी ने यह जानकारी दी। पदाधिकारी ने कहा कि बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा टिकैत एक मार्च से दौरे की शुरुआत करेंगे।
राकेश टिकैत इन राज्यों का करेंगे दौरा
बीकेयू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि मार्च में उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में किसानों की बैठकें होंगी, उत्तर प्रदेश में भी दो बैठकें होंगी। मलिक ने कहा कि राजस्थान में दो बैठकें और मध्य प्रदेश में तीन बैठकें होंगी। 20, 21 और 22 मार्च को अंतिम तीन बैठकें कर्नाटक में होंगी। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में छह मार्च को एक कार्यक्रम निर्धारित है, लेकिन राज्य में कुछ चुनावों के कारण हमें अभी तक इसकी अनुमति नहीं मिली है।
यदि अनुमति मिल जाती है, तो तेलंगाना में बैठक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होगी। गौरतलब है कि नवंबर से ही सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर हजारों किसान तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और केंद्र सरकार से इन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने किसान यूनियनों के साथ 11 दौर की औपचारिक बातचीत की है। सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों के हित में हैं।