सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई खत्म, अभी नहीं खुलेंगी दिल्ली की चारों सीमाएं, कल फिर होगी इन मुद्दों पर चर्चा

केंद्र की मोदी सरकार (Modi Sarkar) द्वारा तीनों विवादित कृषि कानूनों (Agriculture Law) को वापस लिए जाने के बाद शनिवार को दिल्ली के सिंघु सीमा पर संयुक्त किसान मोर्चा (United Farmers Front) की अहम बैठक हुई। इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई।;

Update: 2021-11-20 11:14 GMT

केंद्र की मोदी सरकार (Modi Sarkar) द्वारा तीनों विवादित कृषि कानूनों (Agriculture Law) को वापस लिए जाने के बाद शनिवार को दिल्ली के सिंघु सीमा पर संयुक्त किसान मोर्चा (United Farmers Front) की अहम बैठक हुई। इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक में लिए गए फैसलों और भविष्य की रणनीति पर अब कल चर्चा होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के तीनों कृषि कानूनों ( All three Agricultural Laws) को निरस्त करने के फैसले के बाद अब बैठक में आगे की रणनीति तैयार की जा रही है। बैठक के बाद ही किसानों की आगे की रणनीति की घोषणा की जाएगी। शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कर कहा कि उनकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाला कानून लागू होने तक आंदोलन जारी रहेगा। कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा को किसानों के धैर्य की ऐतिहासिक जीत बताते हुए मोर्चा ने कहा, ''कानूनों को वापस लाने की संसदीय प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार है। संयुक्त किसान मोर्चा ने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। इसके साथ ही आंदोलन के एक साल के दौरान 700 किसानों की मौत के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया है कि लखीमपुर में किसानों की 'हत्या' केंद्र सरकार के अड़ियल रवैये का नतीजा है। केंद्र सरकार में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Toni) को बर्खास्त करने की मांग मोर्चा ने एक बार फिर दोहराई है। किसान नेता गुरनाम सिंह चादुनी (Gurnam Singh Chaduni) ने कहा है कि हम एमएसपी, किसानों के खिलाफ दर्ज मामले और मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजे पर चर्चा करेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य ऋषि पाल अंबावत ने कहा कि लखीमपुर में जिस तरह से किसानों की हत्या की गई, उसे हम नहीं भूल सकते। उन्होंने कहा कि अजय मिश्रा को बर्खास्त करने को लेकर 22 नवंबर को लखनऊ में होने वाला आंदोलन (Farmers Movement) भी इसी तरह होगा। इतना ही नहीं, जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती, हमारे सदस्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ प्रचार करते रहेंगे।

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