Farmers Protest: अब संसद घेरने की तैयारी में किसान, SKM ने दी खुली चेतावनी, राकेश टिकैत ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पर कसा तंज
Farmers Protest: किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर केंद्र सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करना चाहती है तो उसे शर्तें नहीं रखनी चाहिए। टिकैत की यह टिप्पणी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा कि तीन नए केंद्रीय कृषि कानून किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे।;
Farmers Protest नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर केंद्र सरकार (Central Government) के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डरों (Delhi) पर किसानों का आंदोलन पिछले 7 महीने से जारी है। वहीं, प्रदर्शनकारी किसी भी रूप में पीछे हटने को तैयार नहीं है। दोनों पक्षों के बीच गतिरोध जारी है। इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने कहा कि मॉनसून सत्र के दौरान संसद (Parliament) के बाहर केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ रोज करीब 200 किसानों का एक समूह प्रदर्शन करेगा। कृषि कानूनों के विरोध में 40 से ज्यादा किसान संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में पिछले कई महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं।
एसकेएम ने कहा कि सत्र शुरू होने के दो दिन पहले संसद के अंदर काले कानूनों का विरोध करने के लिए एक चेतावनी पत्र दिया जाएगा। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि हम विपक्षी सांसदों से भी 17 जुलाई को सदन के अंदर हर दिन इस मुद्दे को उठाने के लिए कहेंगे, जबकि हम विरोध में बाहर बैठेंगे। उधर, किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि अगर केंद्र सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करना चाहती है तो उसे शर्तें नहीं रखनी चाहिए।
टिकैत की यह टिप्पणी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा कि तीन नए केंद्रीय कृषि कानून किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे और यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार इन कानूनों को निरस्त करने की मांग को छोड़कर, अन्य मुद्दों पर प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है। टिकैत ने कहा कि हमने पहले भी कहा है कि जब भी सरकार तैयार होगी, हम बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन वे यह कहकर इसे सशर्त क्यों बना रहे हैं कि वे कृषि कानून वापस नहीं लेंगे? उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कॉरपोरेट के दबाव में काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भले ही वे (केंद्र) किसानों से बात कर लें, लेकिन उन्हें कॉरपोरेट चला रहे हैं।