Farmers Protest: दिल्ली मेट्रो में लगे किसान आंदोलन के समर्थन में नारे, पीएम मोदी और सीएम खट्टर के लिए लोगों ने कही ये बात
Farmers Protest: दिल्ली मेट्रो के ग्रीन लाइन पर ये नारे मोदी सरकार और खट्टर सरकार के खिलाफ लगाये गये है। किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे है लोगों ने नारे लगाये है 'साडा हक ऐथे रख' जैसे नारे लगाये गये है।;
Farmers Protest दिल्ली के बॉर्डरों पर किसानों का आंदोलन अभी भी जारी है। इस दौरान वह केंद्र से अपनी मांगों मानने के लिए पूरी जिद्द पर उतर चुके है। किसानों का ये प्रदर्शन पिछले 35 दिनों से चल रहा है। वहीं दिल्ली में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है फिर भी वे सीमाओं पर डटे हुये है। इस दौरान देश विदेश से इस आंदोलन को समर्थन मिल रहा है। उधर, किसानों का ये आंदोलन अब दिल्ली मेट्रो तक पहुंच गई है। आज दिल्ली मेट्रो में कुछ लोगों ने किसानों के समर्थन में नारे लगाये है।
दिल्ली मेट्रो के ग्रीन लाइन पर ये नारे मोदी सरकार और खट्टर सरकार के खिलाफ लगाये गये है। किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे है लोगों ने नारे लगाये है 'साडा हक ऐथे रख' जैसे नारे लगाये गये है। इसके साथ ही दिल्ली के बॉर्डरों पर किसान भी कई तरह के नारे सरकार के खिलाफ लगा रहे है। वहीं कई पोस्टर और बैनर के सहारे अपना रोष प्रकट कर रहे है। कृषि कानूनों पर एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों के संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच छठे दौर की वार्ता बुधवार दोपहर शुरू हुई है।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश यहां विज्ञान भवन में 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर रहे हैं। कुछ दिनों के अंतराल के बाद दोनों पक्षों के बीच छठे दौर की वार्ता आरंभ हुई है। पिछली बैठक पांच दिसंबर को हुई थी। आंदोलन कर रहे किसान अपनी मांगों पर डटे हुए हैं कि केवल तीनों नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया और एमएसपी पर कानूनी गारंटी प्रदान करने समेत अन्य मुद्दों पर ही चर्चा होगी।
कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के किसान हैं। सरकार ने कहा है कि इन कानूनों से कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को आशंका है कि नए कानूनों से एमएसपी और मंडी की व्यवस्था 'कमजोर' होगी और किसान बड़े कारोबारी घरानों पर आश्रित हो जाएंगे।