Farmers Protest: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बयान पर राकेश टिकैत का पलटवार, बोले- शर्त के साथ बातचीत नहीं, चाहे लाठी-डंडे चलवा दो

Farmers Protest: राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार का जो ताज़ा प्रस्ताव आया है, वो शर्तों के साथ आया है। सरकार शर्त के साथ बोल रही है कि कानून वापस नहीं होगा। हमने कोई शर्त नहीं लगाई है, अगर कानून वापसी पर चर्चा होती है तो हम बातचीत शुरू करना चाहते हैं। हम सात महीने से यही बैठे हैं, जो जिस भाषा में आर-पार समझता हो, वही समझे।;

Update: 2021-07-09 06:48 GMT

Farmers Protest नए कृषि कानूनों (FarmLaws) को लेकर सरकार और किसानों में गतिरोध बढ़ती दिखाई दे रही है। इस आंदोलन ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है। क्योंकि बीते दिन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने बयान दिया था कि सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी, लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों के साथ चर्चा के लिए तैयार है। उनको मैंने एक बार नहीं कई बार कहा है कि कानूनों को रद्द करने की मांग के अलावा हमारे पास आए हम किसी भी अन्य प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। APMC समाप्त नहीं होगी बल्कि APMC और मजबूत हो। इसके लिए मोदी सरकार (Modi Government) प्रतिबद्ध है।

वहीं इस बयान पर किसान नेता राकेश टिकैत (Farmers Leader Rakesh Tikait) ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री फिर से शर्त के साथ कह रहे हैं कि किसान आए, बातचीत करें। क़ानून ख़त्म नहीं होंगे उनमें बदलाव होगा। सरकार को बात करनी है तो बात करे लेकिन शर्त के साथ किसानों के साथ बात ना करे। जो वे कहेंगे किसान उसपर चले ऐसा नहीं है। उनका कहना है कि सरकार चाहे लाठी-डंडे का इस्तेमाल करे, लेकिन जो भी बात होगी वो बिना किसी कंडीशन के होगी। राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार का जो ताज़ा प्रस्ताव आया है, वो शर्तों के साथ आया है।

सरकार शर्त के साथ बोल रही है कि कानून वापस नहीं होगा। हमने कोई शर्त नहीं लगाई है, अगर कानून वापसी पर चर्चा होती है तो हम बातचीत शुरू करना चाहते हैं। हम सात महीने से यही बैठे हैं, जो जिस भाषा में आर-पार समझता हो, वही समझे। दिल्ली बॉर्डरों पर हम शांति से बैठे हैं, हमें छेड़ो नहीं और सरकार कह रही है कि यहां से चले जाओ। लेकिन अगर हम जाएंगे तो बातचीत से, नहीं तो लाठी-डंडे-गोली जिससे सरकार भगाना चाहे भगा दे। आपको बता दें कि काले कानूनों के विरोध में दिल्ली के बॉर्डरों पर पिछले 7 महीनों से किसान बैठे है। उनका कहना है कि जब तक कानून वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं।

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