Flashback 2020: इस साल दिल्ली की अदालतों में दिखा ये बदलाव, इस चलन की हुई पहली बार शुरुआत
Flashback 2020: वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये सुनवाइयों का दौर शुरू होने से कुछ दिन पहले एक निचली अदालत को निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के दोषियों की विभिन्न अर्जियों के चलते उन्हें फांसी पर लटकाने की तिथि में कई बार बदलाव करना पड़ा।;
Flashback 2020 दिल्ली में कोरोना महामारी में लगे लॉकडाउन के कारण काफी कुछ अलग देखने को मिला। वहीं दिल्ली की अदालतों में भी पहली वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई हुई। ऐसे में दिल्ली की अदालतों को साल 2020 कुछ खास बदलाव देकर गया है। वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये सुनवाइयों का दौर शुरू होने से कुछ दिन पहले एक निचली अदालत को निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के दोषियों की विभिन्न अर्जियों के चलते उन्हें फांसी पर लटकाने की तिथि में कई बार बदलाव करना पड़ा।
संबंधित न्यायाधीश ने इन अर्जियों को देरी करने का हथकंडा करार दिया। आपको बता दें कि कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन और दिल्ली के सांप्रदायिक दंगों और तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों के वीजा नियमों के कथित उल्लंघन जैसे महत्वपूर्ण मामलों की वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये सुनवाई की गई।
निर्भया के आरोपियों को दी गई सजा
आखिरकार 20 मार्च सुबह साढ़े पांच बजे निर्भया आरोपियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। अदालत ने उनकी सभी अर्जियों पर सुनवाई करते हुए कहा कि एक दोषी को अपने सभी कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करने का अधिकार है और कोई भी अदालत उनके मौलिक अधिकारों को नजरअंदाज नहीं कर सकती।
कोरोना वायरस के चलते 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा
कोरोना वायरस के चलते 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के बाद डिजिटल माध्यमों से सुनवाई के दौरान अदालतों में कुछ शुरु में दिक्कतें भी पेश आईं। इस दौरान वकीलों को वीडियो कान्फ्रेंस और इलेक्ट्रॉनिक तरीके से अदालतों में मामले को रखने में परेशानियों को सामना करना पड़ा। इसके अलावा अदालतों की वेबसाइट पर दैनिक आदेश अपलोड नहीं हो पा रहे थे। साथ ही न्यायधीशों और वकीलों के सामने नेटवर्क की समस्या भी पेश आ रही थी।
कोर्ट के कर्मचारी भी हुये संक्रमित
एक बार तो उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रहे न्यायधीश से जुड़े सभी कर्मचारी प्रभावित हुए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। बहरहाल, न्यायाधीश और वकील सभी दिक्कतों का हल निकालने में सक्रिय रहे। एक न्यायाधीश और अदालत के कर्मचारियों के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद अदालत कक्षों और चैंबरों को सील कर दिया गया। इसके बाद उन्हें संक्रमण मुक्त किया गया।