कंक्रीट के जंगल के बीच हरियाली दे रही है शहरवासियों को ऑक्सीजन, पर्यावरणविद्ध पीपल बाबा की मुहिम लाई हैं रंग
लगातार कंक्रीट के बढ़ते शहरों की वजह से हरियाली, पशु—पक्षियों के अलावा लोगों को दूष्परिणाम झेलने पड़ते है। गौतमबुद्ध नगर में ऊंची—ऊंची बिल्डिंग बनाने के लिए तेजी के साथ पेड़ काटे जा रहे और जंगल नष्ट हो रहे हैं। लेकिन अभी कुछ ऐसे लोग हैं, जो हरियाली को बनाए रखने की हरसंभव कोशिश में जुटे है।;
लगातार कंक्रीट के बढ़ते शहरों की वजह से हरियाली, पशु—पक्षियों के अलावा लोगों को दूष्परिणाम झेलने पड़ते है। गौतमबुद्ध नगर में ऊंची-ऊंची बिल्डिंग बनाने के लिए तेजी के साथ पेड़ काटे जा रहे और जंगल नष्ट हो रहे हैं। लेकिन अभी कुछ ऐसे लोग हैं, जो हरियाली को बनाए रखने की हरसंभव कोशिश में जुटे है। नोएडा में भी ऊंची-ऊंची बिल्डिंग का काम तेजी के साथ किया जा रहा है। हालांकि, बढ़ती इमारतों की भीड़ में रहने वाले लोगों को हवा की पूर्ति के लिए नोएडा के सोरखा गांव में एक ऑक्सीजन की पट्टी विकसित की जा रही है। एचसीएल भी इस मुहिम में जुड़ा है।
देश के नामी पर्यवरणविद्ध पीपल बाबा सोरखा गांव में वीरान पड़े जंगल को एक बार फिर से बसाने में लग चुके है। पीपल बाबा ने बताया कि यहां 70 हजार पेड़ों का एक विशाल शहरी वन स्थापित किया जा चुका है। घनी आबादी के लिए यह वन शुद्ध हवा के अच्छा स्रोत बना है। साथ ही शुद्ध पर्यावरण के बीच यहां पिकनिक भी लोग एन्जॉय कर सकते हैं। तत्कालीन डीएम बीएन सिंह से इस क्षेत्र में हरियाली डिवलेप करने की मांग की गई। सोरखा का यह एरिया नोएडा अथॉरिटी के अर्तंगत आता है। लोगों के तेजी से माइग्रेशन के बाद यहां जमीनों के दाम भी आसमान छू रहे थे। भू माफिया धीरे-धीरे जमीनों पर कब्जा कर रहे थे। यहां ऑक्सीजन की फैक्ट्री का विकास करने के उद्देश्य से आस-पास के लोगों को जोड़ा गया।
यहां पीपल बाबा को इस प्रोजेक्ट से जोड़ा गया। माइग्रेशन की भीड़ में सोशल फॉरेस्ट्री के तहत एक बड़े भू-भाग में घने जंगल के विकास की प्रक्रिया शुरू हुई। ग्रामीणों ने भी इस मुहिम में साथ दिया। अब यहां पशु-पक्षियों का बसेरा है। यहां विदेशी पक्षी भी आते है। सोरखा का यह जंगल अब पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन चुका है। पीपल बाबा का कहना है कि यहां जंगल में तालाब का निर्माण भी किया गया हैं।