HC ने इस याचिका के संबंध में केंद्र और RBI से मांगा जवाब, फेसबुक, गूगल और अमेजन कंपनियां निशाने पर

एक अर्थशास्त्री द्वारा दायर याचिका के अनुसार, ये टेकफिन कंपनियां दरअसल प्रौद्योगिकी, दूरसंचार या ई-वाणिज्य कंपनियां हैं, जो अब वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिये वित्तीय क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी हैं और उनका विनियमन करने की आवश्यकता है।;

Update: 2020-12-09 10:22 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत के वित्तीय क्षेत्र में फेसबुक, गूगल और अमेजन जैसी वित्तीय प्रौद्योगिकी (टेकफिन) कंपनियों के संचालन को विनियमित करने के लिए एक विस्तृत कानूनी ढांचे का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर केंद्र, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (ईआरडीएआई) और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) से बुधवार को जवाब मांगा।

एक अर्थशास्त्री द्वारा दायर की गई याचिका

एक अर्थशास्त्री द्वारा दायर याचिका के अनुसार, ये टेकफिन कंपनियां दरअसल प्रौद्योगिकी, दूरसंचार या ई-वाणिज्य कंपनियां हैं, जो अब वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिये वित्तीय क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी हैं और उनका विनियमन करने की आवश्यकता है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने वित्त एवं विधि मंत्रालयों को नोटिस जारी किए। इसके अलावा पीठ ने आरबीआई, एनपीसीआई, आईआरडीएआई, सेबी और पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को भी नोटिस जारी कर उनसे रेशमी पी भास्करन की याचिका पर अपना रुख बताने को कहा।

याचिका में लगाया गया आरोप

भास्करन ने अधिवक्ता दीपक प्रकाश के माध्यम से दायर अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि भारतीय वित्तीय नियमकों के त्रुटिपूर्ण दृष्टिकोण ने टेकफिन कंपनियों को अनियंत्रित संचालन की छूट दी है। याचिका में दावा किया गया है कि इससे देश की वित्तीय स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

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